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________________ फिर काउस्सग्ग पूर्ण होने पर ‘णमो अरिहंताणं' कह कर काउस्सग्ग पारें । कायोत्सर्ग शुद्धि का पाठ बोलें फिर एक लोगस्स प्रकट व दो बार सविधि इच्छामि खमासमणो के पाठ से वन्दना करें। इसके बाद तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना करें। पहला सामायिक, दूसरा चउवीसत्थव, तीसरी वन्दना, चौथा प्रतिक्रमण, पाँचवाँ कायोत्सर्ग ये पाँच आवश्यक समाप्त हुए। छठा आवश्यक छठे आवश्यक की आज्ञा है कहकर, यदि गुरुदेव हों तो उनसे, वे न हों तो बड़े श्रावक जी से पच्चक्खाण करें अन्यथा स्वयं करें। __49.समुच्चय पच्चक्खाण का पाठ गंठिसहियं, मुट्ठिसहियं, नमुक्कारसहियं, पोरिसियं, साड्ड -पोरिसियं, तिविहंपिचउविहंपि आहारं असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अपनी-अपनी धारणा प्रमाणे पच्चक्खाण, अन्नत्थऽणाभोगेणं, सहसागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्व समाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि। पच्चक्खाण लेने के बाद निम्न पाठ बोलें। 50. अन्तिम पाठ पहला सामायिक, दूसरा चउवीसत्थव, तीसरी वन्दना, चौथा प्रतिक्रमण, पाँचवाँ काउस्सग्ग और छट्ठा प्रत्याख्यान इन 6 आवश्यकों में अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार, अनाचार जानते अजानते कोई दोष लगा हो तथा पाठ उच्चारण करते समय काना, मात्रा, अनुस्वार, पद, 1. स्वयं पच्चक्खाण करें तो वोसिरामि' दूसरों को करावें तो 'वोसिरे-वोसिरे' बोलें। {42} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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