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________________ 37. तस्स धम्मस्स का पाठ तस्स धम्मस्स केवलिपण्णत्तस्स अब्भुट्टिओमि आराहणाए, विरओम विराहणाए तिविहेणं पडिक्कंतो वंदामि जिणचउव्वीसं । फिर दो बार इच्छामि खमासमणो के पाठ से विधिवत् वन्दना करें । पाँच पदों की भाव वन्दना पंचांग नमाकर पाँच पदों की भाव वन्दना की आज्ञा है कहकर निम्न दोहा बोलें । प्रथम सात अक्षर पढ़ो, पाँच पढ़ो चित्त लाय । सात, सात, नव अक्षरा, पढ़त पाप झड़ जाय ।। फिर नवकार मंत्र को प्रकट में बोलकर निम्नलिखित पाठों से भाव वन्दना करें । 38. पहले पद श्री अरिहंत भगवान, जघन्य बीस तीर्थङ्करजी उत्कृष्ट एक सौ साठ तथा एक सौ सित्तर देवाधिदेव जी उनमें वर्तमान काल में 20 विहरमानजी महाविदेह क्षेत्र में विचरते हैं। एक हजार आठ लक्षण के धरणहार, चौंतीस अतिशय पैंतीस वाणी कर के विराजमान, चौसठ इन्द्रों के वन्दनीय, पूजनीय, अठारह दोष रहित, बारह गुण सहित (1) अनन्त ज्ञान, (2) अनन्त दर्शन, (3) अनन्त चारित्र, (4) अनन्त बल वीर्य, (5) दिव्य ध्वनि, (6) भामण्डल, (7) स्फटिक सिंहासन, (8) अशोक वृक्ष, (9) कुसुम वृष्टि, (10) देव{31} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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