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________________ सहस्सब्भक्खाणे, रहस्सब्भक्खाणे, सदारमंत-भेए', मोसोवएसे, कूडलेहकरणे, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। 3. तीजा अणुव्रत-थूलाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं, खात खनकर, गाँठ खोलकर, ताले पर कूँची लगाकर, मार्ग में चलते हुए को लूटकर, पड़ी हुई धणियाती मोटी वस्तु जानकर लेना इत्यादि मोटा अदत्तादान का पच्चक्खाण, सगे सम्बन्धी, व्यापार सम्बन्धी तथा पड़ी निर्धमी वस्तु के उपरान्त अदत्तादान का पच्चक्खाण जावज्जीवाए दुविहं तिविहेणं न करेमि, न कारवेमि, मणसा, वयसा, कायसा एवं तीजा स्थूल अदत्तादान विरमण व्रत के पंच-अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं जहा ते आलोउं-तेनाहडे, तक्करप्पओगे, विरुद्ध-रज्जाइक्कमे, कूडतुल्ल-कूडमाणे, तप्पडिरूवगववहारे, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं। चौथा अणुव्रत-थूलाओ मेहुणाओ वेरमणं, सदार-संतोसिए अवसेस-मेहुणविहिं पच्चक्खामि, जावज्जीवाए देवदेवी सम्बन्धी दुविहं तिविहेणं, न करेमि, न कारवेमि, मणसा, वयसा, कायसा तथा मनुष्य तिर्यंच सम्बन्धी एगविहं एगविहेणं न करेमि, कायसा एवं चौथा स्थूल स्वदार 1. स्त्रियाँ 'सदारमंतभेए' के स्थान पर 'सपइ-मंत-भेए' बोलें। 2. स्त्री को 'सदार' के स्थान पर 'सपई' व पूर्ण त्यागी को 'सदार-संतोसिए अवसेस-मेहुणविहिं' के स्थान पर 'सव्व-मेहुणविहिं बोलना चाहिए। (23) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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