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________________ श्रावक सूत्र की आज्ञा श्रावक सूत्र की आज्ञा है कहकर, दाहिना घुटना खड़ा करके बैठकर नवकार मंत्र तथा करेमि भंते का पाठ बोल कर निम्न पाठ बोलें। 22. चत्तारि मंगलं का पाठ चत्तारि मंगलं, अरिहंता मंगलं, सिद्धा मंगलं, साहू मंगलं, केवलिपण्णत्तो धम्मो मंगलं । चत्तारि लोगुत्तमा, अरिहंता लोगुत्तमा, सिद्धा लोगुत्तमा, साहू लोगुत्तमा, केवलि - पण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमो । चत्तारि सरणं पवज्जामि, अरिहंते सरणं पवज्जामि, सिद्धे सरणं पवज्जामि, साहू सरणं पवज्जामि, केवलि - पण्णत्तं धम्मं सरणं पवज्जामि। अरिहन्तों का शरणा, सिद्धों का शरणा, साधुओं का शरणा, केवली प्ररूपित दया धर्म का शरणा । चार शरणा दुःख हरणा और न शरणा कोय | जो भव्य प्राणी आदरे तो अक्षय अमर पद होय ।। " इसके बाद में इच्छामि ठामि' व इच्छाकारेणं का पाठ बोलें। बाद में बैठे-बैठे ही “व्रत अतिचार सहित बोलने की आज्ञा है' ऐसा बोलें। फिर आगमे तिविहे का पाठ बोल कर निम्न पाठ बोलें। 23. दंसण समत्त का पाठ दंसण-समत्त-परमत्थ-संथवो वा, सुदिट्ठ- परमत्थ- सेवणा वा वि। वावण्ण-कुदंसण-वज्जणा, य समत्त - सद्दहणा ।। 1. इस पाठ के उच्चारण में 'इच्छामि ठामि काउस्सग्गं' के स्थान पर 'इच्छामि पडिक्कमिउं' कहें। {21} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
SR No.034373
Book TitleShravak Samayik Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshwa Mehta
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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