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________________ 12. अश्लील शब्द नहीं बोलूँगा / बोलूँगी । 13. किसी से ईर्ष्या नहीं करूँगा/करूँगी। 14. किसी को जाति से ऊँच-नीच समझकर छुआछूत नहीं रखूँगा / रखूँगी। 15.‘“यदि बोलना चाँदी है तो मौन रहना सोना है' अतः दिन में ( ) घंटा मौन रखूँगा / रखूँगी। 16. मैं अश्लील गायन नहीं गाऊँगा /गाऊँगी। 17. प्रमाणित होने पर भी सामने वाले को नीचा दिखाने की दृष्टि से निंदा नहीं करूँगा/करूँगी। 18. वीतरागी अरिहंत देव, निर्ग्रन्थ सच्चे साधु-साध्वी दयामय धर्म और बत्तीस शास्त्रों की अश्रद्धा निन्दा नहीं करूँगा/करूँगी। छः काय के जीवों की हिंसा और आडम्बर रूप धर्म के विकारों की प्रशंसा नहीं करूँगा/करूंगी। धर्म कार्य में हिंसा को प्रोत्साहन नहीं दूँगा/दूँगी। सामायिक में पंखा, लाइट, माइक, बाथरूम आदि के निमित्त आडंबर में कोई दोष नहीं, ऐसा बोलने से बड़ा झूठ लगता है व तीर्थंकर की आज्ञा भंग होती है। अतः ऐसा नहीं बोलूँगा / बोलूँगी । 19. किसी की मौत का कारण बने, दुनिया, देश, गाँव, समाज में झगड़ा होवे ऐसा कार्य नहीं करूँगा / करूँगी। 20. नारद लीलावत, नुकसानकारी, द्वेषवश (सरकार व व्यापार के सिवाय) बड़ा झूठ बोलने का त्याग ( ) बड़े रूप से कलंक, विश्वासघात झूठी सलाह, झूठी साक्षी का त्याग। 21.सन्त-सती के सामने झूठ का त्याग। 22.ज्यादा हँसी मजाक से बचूँगा / बचूँगी। 15
SR No.034372
Book TitleShravak Ke Barah Vrat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangla Choradiya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2015
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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