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26. काले-काले (समय पर) क्रिया करने का संग्रह करे। 27. धर्मध्यान ध्याने का संग्रह करे। 28. संवर करने का संग्रह करे। 29. मारणान्तिक रोग होने पर भी मन को क्षुभित नहीं बनाने
का संग्रह करे। 30. स्वजनादि को त्यागने का संग्रह करे। 31. लिये हुए प्रायश्चित्त को पार लगाने का संग्रह करे। 32. आराधक पण्डित मरण होवे वैसी आराधना करने का
संग्रह करे। (33) तेतीसवें बोले-आशातना तेतीस प्रकार की1. गुरु या बड़ों के सामने शिष्य अविनय से चले। 2. गुरु आदि के बराबर चले। 3. गुरु आदि के पीछे भी अविनय से चले। 4-6.गुरु आदि के आगे-पीछे या बराबर अविनय से खड़ा
रहे।
7-9.गुरु आदि के आगे, पीछे या बराबर अविनय से बैठे।
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