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6 मरण भय-मृत्यु का डर । 7 अपयश भय-प्रतिष्ठा (इज्जत) में न्यूनता आने का भय ।
(8) आठवें बोले-आठ मद-1 जाति मद, 2 कुल मद, 3 बल मद, 4 रूप मद, 5 तप मद, 6 श्रुत मद, 7 लाभ मद और 8 ऐश्वर्य मद।
(७) नौवें बोले-ब्रह्मचर्य की नव गुप्ति (नव-बाड़) ब्रह्मचर्य की 9 प्रकार से रक्षा। ___1. ब्रह्मचारी पुरुष ऐसे स्थान में नहीं रहे जहाँ-स्त्री, पशु और नपुंसक रहते हों, या बार-बार आते-जाते हों। यदि रहे, तो चूहे और बिल्ली का दृष्टान्त।
2. ब्रह्मचारी पुरुष, स्त्री सम्बन्धी काम-राग बढ़ाने वाली कथा- वार्ता नहीं करे, यदि करे, तो नींबू और रसना (जीभ) का दृष्टान्त। ___ 3. जिस स्थान पर स्त्री बैठी हो, उस स्थान पर ब्रह्मचारी को एक मुहूर्त तक बैठना नहीं तथा स्त्री के साथ भी बैठना नहीं। यदि बैठे, तो कोरा (कद्दु) और कणक का दृष्टान्त ।
4. ब्रह्मचारी पुरुष, स्त्री के अंगोपांग, रूप-लावण्य राग दृष्टि से निरखे नहीं, बार-बार नजर भर के देखे नहीं। यदि देखे, तो कच्ची आँख और सूर्य का दृष्टान्त ।
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