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________________ बोल जीव. गुण. योग. उप. ले. 14. आठवें देवलोक के देव असं. गुण 2 4 11 9 1 15. सातवें देवलोक के देव असं. गुण 2 4 11 9 1 16. पाँचवीं नरक के नेरइये असं. गुण 2 4 11 9 2 17. छठे देवलोक के देव असं. गुण 2 4 11 9 1 18. चौथी नरक के नेरइये असं. गुण 2 4 11 9 1 19. पाँचवें देवलोक के देव असं. गुण 2 4 11 9 1 20. तीसरी नरक के नेरइये असं. गुण 2 4 11 9 2 21. चौथे देवलोक के देव असं. गुण 4 11 9 1 22. तीसरे देवलोक के देव असं. गुण 2 4 11 9 1 23. दूसरी नरक के नेरइये असं. गुण 2 4 11 9 1 24. संमूर्छिम मनुष्य असं. गुण 1 1 3 4 3 25. दूसरे देवलोक के देव असं. गुण 2 4 11 9 1 26. दूसरे देवलोक की देवी सं. गुण 2 4 11 9 1 27. पहले देवलोक के देव सं. गुण ___4 11 9 1 28. पहले देवलोक की देवी सं. गुण 2 4 11 9 1 29. भवनपति देव असंख्यात गुण 3 4 11 9 4 30. भवनपति देवी संख्यात गुण 4 11 9 4 31. पहली नरक के नेरइये असं. गुण 4 11 9 1 32. खेचर तिर्यञ्च पुरुष असं. गुण 2 5 13 9 6 33. खेचर स्त्री संख्यात गुणी 2 5 13 9 6 34. थलचर पुरुष संख्यात गुण 2 5 13 9 6 35. थलचर स्त्री संख्यात गुणी 2 5 13 9 6 36. जलचर पुरुष संख्यात गुण 2 5 13 9 6
SR No.034370
Book TitleRatnastok Mnjusha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2016
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size1 MB
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