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________________ IV पुण्य-पाप तत्त्व परमश्रद्धेय आचार्यप्रवर श्री हीराचन्द्रजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती तत्त्वचिन्तक श्री प्रमोदमुनिजी म.सा. ने अपने प्रवचन में पुण्य की उपादेयता का प्रतिपादन किया है। इस संदर्भ में यह पुस्तक अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। मूर्धन्य मनीषी विद्वान् डॉ. सागरमलजी की भूमिका से इस पुस्तक की विशेष महत्ता बढ़ गई है। सम्पादन के दायित्व का निर्वाह 'जिनवाणी' मासिक पत्रिका के सम्पादक प्रो. (डॉ.) धर्मचन्दजी जैन ने किया है। मण्डल आप दोनों के प्रति आभार प्रकट करता है। उदारमना, सरलमना सुश्रावक श्री नवनीतजी मुणोत, मुम्बई के प्रति हम विशेष कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं जिन्होंने आदरणीय श्री लोढ़ा साहब की इस 'पुण्य-पाप तत्त्व' पुस्तक के प्रकाशनार्थ उदारमना होकर मुक्त हस्त से सहयोग प्रदान किया है। इस पुस्तक की सामग्री को व्यवस्थित करने का तथा प्रूफ संशोधन का कार्य आध्यात्मिक शिक्षा समिति में सेवारत शिक्षक श्री राकेश कुमारजी जैन, जयपुर द्वारा सम्पन्न किया गया है। कम्प्यूटर टाईप सैटिंग कार्य में मंडल में कार्यरत श्री प्रहलादजी लखेरा का सहयोग प्राप्त हुआ है। इन सभी के प्रति सम्यग्ज्ञान प्रचारक मंडल आभारी है। आशा है इस पुस्तक का स्वाध्याय करने से पुण्य-पाप तत्त्व के संबंध में पाठकों की दृष्टि अवश्य परिमार्जित होगी। पारसचन्द हीरावत विनयचन्द डागा निवेदक प्रमोदचन्द महनोत-पदमचन्द कोठारी कार्याध्यक्ष सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल अध्यक्ष मंत्री
SR No.034369
Book TitlePunya Paap Tattva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year2017
Total Pages314
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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