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________________ 152 जीव-अजीव तत्त्व एवं द्रव्य और संकट के समय अंगों को समेटकर अपने आपको उसमें छिपाकर अपनी सुरक्षा करता है। ढाल के आकार व उस पर बने चिह्नों में इतनी अधिक समानता है कि ढाल और कछुओं की पीठ में से एक को देखते ही दूसरे का स्मरण हो जाता है। पनडुब्बी ह्वेल-समुद्री युद्ध में पनडुब्बी का अपना महत्त्व है। पनडुब्बी को जल के दबाव से सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रकार के प्रयत्न किये जाते हैं। इसी प्रकार बिलो ह्वेल मछली गहरे जल में अपने को छिपाकर साठ किलोमीटर प्रति घण्टे से तैर सकती है। उसके शरीर और सिर पर चर्बी की एक मोटी परत होती, जो उसके तापमान को संतुलित रखती है तथा जल के दबाव से बचाती है। ऐनकधारी मेंढ़क-गोताखोर जल में गोता लगाते समय आँख पर एक विशेष प्रकार का ऐनक लगाते हैं, जिससे चारों ओर से सब वस्तुएँ देखी जा सकती है। इसी प्रकार मेंढ़क की आँखों पर दो पलकों के अतिरिक्त एक तीसरी पलक और होती है, जिससे वह प्रत्येक वस्तु को देख सकता है। __ मकड़ी का मायाजाल-मकड़ी अपना मायाजाल बनाने के लिए प्रसिद्ध है। मकड़ी बड़ी मायाविनी होती है, उसकी माया निराली ही होती है। वह रेशम के जैसा महीन और चमकदार सूत बनाती है जिससे वह नीचे के एक छोर से दूसरे छोर तक झूलने वाला पुल बनाकर इंजीनियरों को भी चकित कर देती है वह थलचर होकर भी गहरे जल में जाल फैलाती व अण्डे देती है। ___ मकड़ी के सूत की उत्पत्ति उसके शरीर के पिछले भाग की थैली से होती है। थैली पर चलनी के समान रोम (छिद्र) होते हैं जिनसे उसके
SR No.034365
Book TitleVigyan ke Aalok Me Jeev Ajeev Tattva Evam Dravya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanhaiyalal Lodha
PublisherAnand Shah
Publication Year2016
Total Pages315
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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