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________________ 50] [दशवैकालिक सूत्र हिन्दी पद्यानुवाद संयत विरत और प्रतिहत, कल्मष निषेध या घात किया। भिक्षु भिक्षुणी एकाकी, अथवा परिषद् में स्थान लिया ।। हो काल दिवस या रजनी का, जागृति का अथवा सोने का। ऐसे ही सेवा पठन हेतु, श्रम खिन्न भाव से रहने का ।। शुद्ध भूमि या भित्ति शिला, अति कठिन मृत्तिका ढेले को। रज सचित्त धूसर तन को, या पट सचित्त रज वाले को ।। हाथ पैर या लकड़ी से, बांसों की बनी खपाटी से । अंगुली शलाका से अथवा, वैसे बहु लोह शलाका से ।। रेखा खींचे ना बारबार, आलेखन उन पर करे नहीं। ना घिसे ना तोडे भदल को, निज तन सम पीडा समझ सही।। ना अन्य जनों से करवाए, करते को भला नहीं जाने । तीन करण और तीन योग से, व्रतरक्षण मन में ठाने ।। भन्ते ! पृथ्वीकाय घात की, निन्दा गर्दा मैं करता हूँ। इस व्रत के पालन में ऐसे, अपने को अर्पण करता हूँ।। अन्वयार्थ-संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मे = संयमी-त्यागी भूतकाल के पाप का शोधन और भविष्य के पाप का त्याग करने वाला । से भिक्खू वा भिक्खुणी वा = वह साधु या साध्वी । दिआ वा (दिया वा) = दिन में । वा = अथवा । राओ = रात्रि में । एगओ = एकान्त में । वा = या। परिसागओ वा = सभा में । सुत्ते = सोये । वा = अथवा । जागरमाणे वा = जाग्रत अवस्था में । से पुढविं वा = वह पृथ्वी को। भित्तिं वा = नदी तट की दीवार, पर्वत की दरार, नदी तट की मिट्टी की दरार । सिलं वा = शिला को । लेलुं वा = ढेले को । ससरक्खं वा = सचित्त धूलि से भरे हुए । कायं = तन को। ससरक्खं वा = सचित्त धूलि से भरे हुए । वत्थं = वस्त्र को । हत्थेण वा = हाथ से । पाएण वा = पैर से। कट्टेण वा = काष्ठ से। किलिंचेण वा = खपाटी से । अंगुलियाए वा = अंगुलि से । सिलागाए वा = लोहमय शलाका से। सिलागहत्थेण वा = शलाका समूह से । न आलिहिज्जा = आलेखन न करे । न विलिहिज्जा = विशेष रेखा न खींचे। न घट्टिज्जा = घर्षण न करे । न भिंदिज्जा = भेदन न करे। अन्नं न आलिहाविज्जा .........................न समणुजाणामि। दूसरे से आलेखन न करावे, रेखा न खिंचावे, घर्षण करावे नहीं, भेदन करावे नहीं, दूसरे आलेखन करने वाले, विलेखन करने वाले, घर्षण करने वाले, भेदन करने वाले का अनुमोदन करे नहीं, यावज्जीवन
SR No.034360
Book TitleDash Vaikalika Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages329
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size3 MB
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