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________________ { 56 [अंतगडदसासूत्र तस्स सोमिलस्स माहणस्स = उस सोमिल ब्राह्मण के, सोमसिरी नामं माहणी होत्था = सोमश्री नाम वाली ब्राह्मणी थी।, सुकुमाला = वह बहुत कोमलांगी थी। तस्स णं सोमिलस्स = उस सोमिल नामक, माहणस्स धूया सोमसिरीए = ब्राह्मण की पुत्री तथा सोमश्री, अत्तया सोमा नामंदारिया होत्था = ब्राह्मणी की आत्मजा सोमा नाम की लड़की (कन्या) थी, सुकुमाला जाव सुरूवा = वह सुकुमारी एवं सुरूपा थी। रूवेणं जाव लावण्णेणं उक्किट्ठा = रूप और लावण्य-कांति से, उत्कृष्ट थी और, उक्किट्ठसरीरा यावि होत्था = उत्कृष्ट शरीर वाली थी। भावार्थ-तत्पश्चात् उस देवकी देवी ने नवमास का गर्भकाल पूर्ण होने पर जवा-कुसुम, बन्धुकपुष्प, जीवक लाक्षारस, श्रेष्ठ पारिजात एवं उदीयमान सूर्य के समान कान्ति वाले, सर्वजन-नयनाभिराम, सुकुमाल यावत् गजतालु के समान रूपवान् पुत्र को जन्म दिया। जन्म का वर्णन मेघकुमार के समान समझना चाहिए। ___ यावत् नामकरण के समय माता-पिता ने सोचा-“क्योंकि हमारा यह बालक गजतालु के समान सुकोमल एवं सुन्दर है, इसलिये हमारे इस बालक का नाम गजसुकुमाल हो।" इस प्रकार विचार कर उस बालक के माता-पिता ने उसका ‘गजसुकुमाल'-यह नाम रखा। शेष वर्णन मेघकुमार के समान समझना। क्रमश: गजसुकुमाल भोग समर्थ हो गया। उस द्वारिका नगरी में सोमिल नामक एक ब्राह्मण रहता था, जो समृद्ध और ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद-इन चारों वेदों का सांगोपांग पूर्ण ज्ञाता भी था। उस सोमिल ब्राह्मण के सोमश्री नाम की ब्राह्मणी (पत्नी) थी। सोमश्री सुकुमार एवं रूपलावण्य सम्पन्न थी। उस सोमिल ब्राह्मण की पुत्री और सोमश्री ब्राह्मणी की आत्मजा सोमा नाम की कन्या थी जो सुकुमाल यावत् बड़ी रूपवती थी। उसका रूप, लावण्य एवं देहयष्टि का गठन भी उत्कृष्ट था। सूत्र 16 मूल- तए णं सा सोमा दारिया अण्णया कयाइं ण्हाया जाव विभूसिया बहहिं खुज्जाहिं जाव परिक्खित्ता, सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव रायमग्गे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रायमग्गंसि कणग-तिंदूसएणं कीलमाणी, कीलमाणी चिट्ठइ। तेणं कालेणं तेणं समएणं अरहा अरिढणेमी समोसढे, परिसा णिग्गया। तए णं से कण्हे वासुदेवे इमीसे कहाए लद्धढे समाणे, ण्हाए जाव विभूसिए गयसुकुमालेणं कुमारेणं सद्धिं हत्थिखंधवरगए सकोरंट
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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