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________________ { 24 संस्कृत छाया [ अंतगडदसासूत्र ततः खलु तं अनीकसेनं नाम कुमारं सातिरेकं अष्टवर्षजातम् अम्बापितरौ कलाचार्यः यावत् भोगसमर्थो जातश्चापि आसीत् । ततः खलु तं अनीकसेनं कुमारं उन्मुक्तबालभावं ज्ञात्वा अम्बापितरौ सदृशीनां सदृशवयस्कानां, सदृशत्वचां सदृशलावण्यरूपयौवनगुणोपपेतानां, सदृशेभ्यः कुलेभ्यः आनीतानां द्वात्रिंशत् इभ्यवरकन्यकानां एकदिवसे खलु पाणिं ग्राहयन्ति । अन्वयार्थ-तएणं तं अणीयसेणं कुमारं = तदनन्तर उस अनीकसेन कुमार को, साइरेगं अट्ठवासजायं = साधिक आठ वर्ष का हुआ जानकर, अम्मापियरो कलायरिय जाव = मातापिता ने कलाचार्य के पास भेजा, भोगसमत्थे जाए यावि होत्था = यावत् भोग समर्थ युवावस्था सम्पन्न हुआ। तएणं तं अणीयसेणं कुमारं = तब उस अनीकसेन कुमार को, उम्मुक्क-बालभावं जाणित्ता = बालभाव से मुक्त जानकर, अम्मापियरो सरिसयाणं = ( उसके ) माता-पिता (उस) सरीखी, सरिसवयाणं, सरिसत्तयाणं = सरिसलावण्ण-रूवजोवण्ण = समान वयवाली, समान त्वचावाली, समान लावण्य-रूप-यौवन-, गुणोववेयाणं, सरिसेहिंतो कुलेहिंतो = गुण सम्पन्न, समान कुलवाली, आणिल्लियाणं बत्तीसाए: आनीत (लाई गई), बत्तीस, इब्भवरकण्णगाणं = श्रेष्ठ इभ्य सेठों की कन्याओं के साथ, एगदिवसेणं पाणिं गिण्हावेंति = एक ही दिन में पाणिग्रहण करवाते हैं। = भावार्थ-इस तरह अनीकसेन कुमार को आठ वर्ष से अधिक वय का होने पर माता-पिता ने कलाचार्य के पास भेजा, यावत् वह भोग समर्थ युवावस्था को प्राप्त हुआ । तब उस अनीकसे कुमार को माता-पिता ने उन्मुक्त बालभाव-अर्थात् युवावस्था में प्रविष्ट हुआ जानकर, उसके अनुरूप समान वय वाली, समान त्वचा और समान रूप लावण्य तथा तारुण्य गुण वाली, अपने समान कुलों से लाई गई बत्तीस इभ्य श्रेष्ठियों की कन्याओं के साथ उसका एक ही दिन में पाणिग्रहण संस्कार करवाया । सूत्र 4 मूल तएणं से नागे गाहावई अणीयसेणस्स कुमारस्स इमं एयारूवं पीइदाणं दलयइ, तं जहा - बत्तीसं हिरण्णकोडीओ जहा महब्बलस्स जाव उप्पिंपासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं भोगभोगाई, भुंजमाणे विहरइ | ते काणं तेणं समएणं अरहा अरिट्ठणेमी जाव समोसढे, सिरिवणे उज्जाणे अहापडिरूवं उग्गहं जाव विहरइ । परिसा णिग्गया। तए णं तस्स अणीयसेणस्स कुमारस्स तं महया जणसद्दं जहा गोयमे तहा,
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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