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________________ विशिष्ट तथ्य ] 229} परिशिष्ट 2 विशिष्ट तथ्य (1) श्री अन्तगडदसा सूत्र में कुल 90 साधकों का वर्णन है। जिनमें से भगवान नेमिनाथ के शासनवर्ती 51 एवं भगवान महावीर के शासनवर्ती 39 साधक हैं। भगवान नेमिनाथ के शासनवर्ती 41 पुरुष एवं 10 स्त्रियाँ हैं तथा भगवान महावीर के शासनवर्ती 16 पुरुष एवं 23 स्त्रियों का वर्णन मिलता है। 66 साधकों ने 11 अंगों का अध्ययन किया। 10 साधकों ने 12 अंगों का अध्ययन किया। 12 साधकों ने 14 पूर्वो का अध्ययन किया। 2 साधकों (श्री गजसुकुमाल मुनि एवं श्री अर्जुन अणगार) ने अष्ट प्रवचन माता का अध्ययन किया। श्री नेमिनाथ भगवान के शासनवर्ती साधु शत्रुञ्जय पर्वत पर व गजसुकुमाल मुनि-श्मशान में सिद्ध हुए और भगवान महावीर के समय के साधक विपुलगिरि पर सिद्ध हुए। सभी स्त्री साधिकाएँ (साध्वियाँ) उपाश्रय में ही मुक्त हुईं। (5) सबसे अल्पकाल में श्री गजसुकुमाल मुनि सिद्ध हुए, जबकि सबसे दीर्घकाल (दीक्षा-पर्याय) में श्री एवन्ता मुनिवर मुक्त हुए। सभी साधकों का संलेखना संथारा का काल 30 दिन का था। केवल श्री अर्जुन अणगार का 15 दिन का था एवं श्री गजसुकुमाल मुनि दीक्षित हुए उसी दिन पिछले प्रहर में बारहवीं भिक्षु प्रतिमा वहन करते हुए उसी रात्रि के प्रथम प्रहर में सिद्ध हुए। श्री गजसुकुमाल मुनि का जीवन, दृढ़ धैर्य से भयंकर परीषहों को जीतने का एवं श्री अर्जुन अणगार का जीवन क्षमा, तितिक्षा एवं सहिष्णुता का आदर्श प्रस्तुत करता है। धर्म के प्रति दृढ़ आस्था के लिये श्री सुदर्शन श्रावक की जीवन झाँकी अविस्मरणीय है। मृत्यु के मुँह में पहुँचने पर भी व्रतों को पालने की दृढ़ता मननीय एवं आचरणीय है। जीवन का वास्तविक दिग्दर्शन बाल साधक श्री एवन्ता कुमार की इस पहेली में, “जं चेव जाणामि, तं चेव न जाणामि, तं चेव जाणामि" ज्ञातव्य है। (10) काली आदि दसों सुकुमाल राज रानियों का जीवन-चरित्र त्याग और तपस्या का प्रबल प्रेरक है। (11) अर्जुन माली और गजसुकुमाल इन दो साधकों को छोड़कर शेष पुरुष साधकों ने गुणरत्न संवत्सर तप और प्रतिमाओं की आराधना की।
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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