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________________ अष्टम वर्ग दसवाँ अध्ययन ] 221 } उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, ग्यारह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, बारह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, तेरह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, चौदह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, पन्द्रह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, सोलह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया, पन्द्रह किये और सर्वकामगुण पारणा किया, इस प्रकार वैसे ही एक एक उल्टा उतारते जाते हैं, यावत् अन्त में उपवास करके सर्वकामगुण पारणा किया। इस तरह यह एक पारिपाटी हुई । एक परिपाटी का काल ग्यारह महीने और पन्द्रह दिन होते हैं। ऐसी चार परिपाटियाँ इस तप में होती हैं। इन चारों परिपाटियों में तीन वर्ष दस महीने का समय लगता है। शेष वर्णन पूर्व की तरह समझना चाहिये । अन्त में अत्यन्त कृशकाय होने पर आर्या पितृसेन कृष्णा भी संलेखना संथारा करके सिद्ध-बुद्ध और सर्व दुःखों से मुक्त हो गई। ।। इइ नवममज्झयणं-नवम अध्ययन समाप्त ॥ सूत्र 1 मूल संस्कृत छाया दसममज्झयणं-दसवाँ अध्ययन I एवं महासेणकण्हा वि । नवरं आयंबिलवड्ढमाणं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तं जहा - आयंबिलं करेइ, करित्ता चउत्थं करेइ, करित्ता बे आयंबिलाई करेइ, करित्ता चउत्थं करेइ, करित्ता तिण्णि आयंबिलाई करेइ, करिता चउत्थं करेइ, करित्ता चत्तारि आयंबिलाई करेइ, करिता चउत्थं करेइ, करिता पंच आयंबिलाई करेइ, करित्ता चउत्थं करेइ, करिता छ आयंबिलाई करेइ, करित्ता चउत्थं करेइ, करित्ता एकोत्तरियाए वुड्डीए आयंबिलाई वडुंति चउत्थंतरियाइं जाव आयंबिलसयं करेइ, करित्ता चउत्थं करेइ | 1 | एवं महासेनकृष्णाऽपि । विशेषः- आचामाम्लवर्धमानं तप: कर्म उपसंपद्य विहरति । तद्यथा-आचामाम्लं करोति, कृत्वा चतुर्थं करोति, कृत्वा द्वे आचामाम्ले करोति,
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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