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________________ अष्टम वर्ग - तृतीय अध्ययन ] 193} सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, अट्ठमं करेइ, करित्ता = तेला किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, दसमं करेइ, करित्ता = चार किये, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ, पारित्ता = सर्वकामगुणयुक्त पारणा किया, करके, छटुं करेइ, करित्ता = बेला किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ पारित्ता = सर्वकामगुण पारणा किया, करके, अट्ठमं करेइ, करित्ता = तेला किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ पारित्ता = सर्वकामगुण पारणा किया, करके, चउत्थं, करेइ करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ पारित्ता = सर्वकामगुण युक्त पारणा किया, करके, छठें करेइ करित्ता = बेला किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ पारित्ता = सर्वकामगुण युक्त पारणा किया, करके, चउत्थं करेइ करित्ता = उपवास किया, करके, सव्वकामगुणियं पारेइ पारित्ता = सर्वकामगुण युक्त पारणा किया, करके, तहेव चत्तारि परिवाडीओ = इसी प्रकार चारों परिपाटियाँ हैं । एक्काए परिवाडीए = एक परिपाटी में, छम्मासा सत्त य दिवसा = छ: महीने और सात दिन का समय लगा। चउण्हं दो वरिसा = चारों परिपाटियों का काल दो वर्ष, अट्ठावीसा य दिवसा = और अट्ठावीस दिन होता है। जाव सिद्धा = यावत् सिद्ध हुई।।3।। भावार्थ-श्री जम्बू स्वामी-“भगवन् ! आठवें वर्ग के तीसरे अध्ययन का प्रभु महावीर ने क्या भाव बताया है ?" आर्य सुधर्मा-“तीसरे अध्ययन में महाकाली का वर्णन है। उसने भी काली के समान दीक्षा ली। इसमें विशेषता इतनी है कि महाकाली ने लघुसिंह निष्क्रीड़ित तप की आराधना की, जो इस प्रकार है उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया । बेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया। उपवास किया और सर्वकामगुण पारणा किया। तेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया। बेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया । चौला किया और सर्वकामगुण पारणा किया। तेला किया और सर्वकामगुण पारणा किया। पाँच का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया। चौला किया और सर्वकामगुण पारणा किया । छ: किये और सर्वकामगुण पारणा किया । पाँच किये और सर्वकामगुण पारणा किया। सात उपवास किये और सर्वकामगुण पारणा किया । छह किये और सर्वकामगुण पारणा किया। आठ का तप किया और सर्वकामगुण पारणा किया । सात किये और सर्वकामगुण पारणा किया। नव किया और सर्वकामगुण पारणा किया। आठ किया और सर्वकामगुण पारणा किया। नव किया और सर्वकामगुण पारणा किया। सात किया और सर्वकामगुण पारणा किया। आठ किया और सर्वकामगुण पारणा किया। छह किया और सर्वकामगुण पारणा किया । सात किया और सर्वकामगुण पारणा किया। पाँच किया और सर्वकामगुण पारणा किया। छह किया और सर्वकामगुण पारणा किया। चौला किया और सर्वकामगुण पारणा किया । पाँच किया और सर्वकामगुण पारणा किया । तेला किया और सर्वकामगुण पारणा
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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