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________________ षष्ठ वर्ग- 12-13 अध्ययन ] मूल 155} बारसममज्झयणं-बारहवाँ अध्ययन एवं सुणभद्दे विगाहावई, सावत्थी नयरी, बहुवासा परियाआविपुले सिद्धे ॥ 12 ॥ संस्कृत छाया - एवं सुमनभद्रोऽपि गाथापतिः, श्रावस्ती नगरी, बहुवर्षाणि पर्यायः, विपुले सिद्धः ।। 12 ।। अन्वयार्थ-एवं सुमणभद्दे वि गाहावई = इसी प्रकार सुमनभद्र गाथापति, सावत्थी नयरी, बहुवासा परियाओ = श्रावस्ती नगरी । बहुत वर्षों तक दीक्षा पालन कर, विपुले सिद्धे = विपुलाचल पर सिद्ध हुए ।। 12 ।। मूल भावार्थ-सुमनभद्र गाथापति का वर्णन भी ऐसे ही समझें । ये श्रावस्ती नगरी के निवासी थे । बहु वर्षों तक मुनि-चारित्र का पालन कर विपुलगिरि पर सिद्ध हुए । ।। इइ बारसममज्झयणं-बारहवाँ अध्ययन समाप्त ।। तेरसममज्झयणं-तेरहवाँ अध्ययन एवं सुपठ्ठे विगाहावई, सावत्थी नयरी, सत्तावीसं वासा परियाओ, विपुले सिद्धे ॥13॥ संस्कृत छाया - एवं सुप्रतिष्ठोऽपि गाथापतिः, श्रावस्ती नगरी, सप्तविंशति वर्षाणि पर्याय:, विपुले सिद्धः ।। 13 ।। अन्वयार्थ - एवं सुपठ्ठे विगाहावई, = इसी प्रकार सुप्रतिष्ठ गाथापति । सावत्थी नयरी, सत्तावीसं वासा = श्रावस्ती, नगरी । सत्ताईस वर्ष, परियाओ, विपुले सिद्धे = चारित्र पालकर, विपुलगिरि पर सिद्ध हुए ।। 13 ।। भावार्थ- ऐसे ही सुप्रतिष्ठ गाथापति को भी समझें । ये भी श्रावस्ती नगरी के रहने वाले थे और सत्ताईस वर्ष का श्रमण- चारित्र पालन कर विपुलगिरि पर सिद्ध हुए । ।। इइ तेरसममज्झयणं-तेरहवाँ अध्ययन समाप्त ।।
SR No.034358
Book TitleAntgada Dasanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size2 MB
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