SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ { iv } साधक व सुज्ञ पाठक निर्व्यसनी जीवन जीते हुए जीवन को निर्मल बनाकर साधना में आगे बढ़ने का संकल्प करता है। भगवान के बताये हुये मार्ग का अनुसरण करने का प्रयास करता है। आचार्य प्रवर श्री हीराचन्द्रजी म.सा. के तत्वावधान में तैयार हुए इस आवश्यक सूत्र का प्रथम संस्करण 2016 में प्रकाशित किया जा रहा है। इस संस्करण को विशिष्ट बनाने के लिए आध्यात्मिक शिक्षा समिति के विद्वान् प्रशिक्षक श्री प्रकाशचन्दजी जैन ने आचार्य श्री हीराचन्द्रजी म.सा. के दिशा-निर्देशानुसार इसकी मूलभूत विशेषताएँ, भेद-प्रभेद, अध्ययनों के क्रम का आधार, प्रयोजन आदि को प्राक्कथन में आबद्ध करते हुए 5 परिशिष्टों का समावेश किया है। पुस्तक के प्रूफ संशोधन एवं आवरण सज्जा में आध्यात्मिक शिक्षा समिति में सेवारत श्री राकेशजी जैन, जयपुर का सहयोग प्राप्त हुआ। लेज़र टाईप सेटिंग में श्री प्रहलाद नारायणजी लखेरा का सहयोग प्राप्त हुआ। एतदर्थ मण्डल परिवार आप सभी के प्रति आभार प्रकट करता है। पाठकों को निवेदन है कि वे का स्वाध्याय कर अपने जीवन को सार्थक बनायें । पारसचन्द हीरावत अध्यक्ष जीवन- उन्नायक भगववाणी रूप आवश्यक सूत्र निवेदक :: प्रमोदचन्द महनोत पदमचन्द कोठारी कार्याध्यक्ष कार्याध्यक्ष सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल :: विनयचन्द डागा मन्त्री
SR No.034357
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy