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________________ { 132 [आवश्यक सूत्र 7. पाँचवें आवश्यक की आज्ञा-प्रायश्चित्त का पाठ, नवकार मंत्र, करेमि भंते, इच्छामि ठामि, तस्सउत्तरी, लोगस्स का (सामान्य दिनों में 4, पक्खी को 8, चौमासी को 12 तथा संवत्सरी को 20 लोगस्स का) काउस्सग्ग करें, कायोत्सर्ग शुद्धि का पाठ एवं लोगस्स प्रकट में, इच्छामि खमासमणो के पाठ से विधिवत् दो बार वन्दना, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना। 8. छठे आवश्यक की आज्ञा-समुच्चय पच्चक्खाण का पाठ, प्रतिक्रमण समुच्चय (अन्तिम पाठ), नमोत्थुणं दो बार, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना । इच्छामि णं भंते का पाठ मूल- इच्छामि णं भंते! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे देवसियं' पडिक्कमणं ठाएमि देवसिय-नाण-दसण-चरित्ताचरित्त-तव-अइयार चिंतणत्थं करेमि काउस्सग्गं। संस्कृत छाया- इच्छामि खलु भगवन् युष्माभिरभ्यनुज्ञातः सन् । दैवसिकं प्रतिक्रमणं तिष्ठामि दैवसिक-ज्ञान-दर्शन-चारित्राचारित्र-तप-अतिचार-चिंतनार्थं करोमि कायोत्सर्गम्।। अन्वयार्थ-इच्छामि णं भंते ! = हे भगवान! चाहता हूँ यानी मेरी इच्छा है, तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे = इसलिए आपके द्वारा आज्ञा मिलने पर, देवसियं पडिक्कमणं = दिवस सम्बन्धी प्रतिक्रमण को, ठाएमि = करता हूँ। (व), देवसिय-नाण-दंसण- = दिवस सम्बन्धी ज्ञान-दर्शन, चरित्ताचरित्त- = श्रावक व्रत, तव- = तप, अइयार-चिंतणत्थं = अतिचारों का चिन्तन करने के लिए, करेमि काउस्सग्गं = कायोत्सर्ग करता हूँ। मूल इच्छामि ठामि का पाठ इच्छामि ठामि काउस्सग्गं जो मे देवसिओ अइयारो कओ, काइओ, वाइओ, माणसिओ, उस्सुत्तो, उम्मग्गो, अकप्पो, अकरणिज्जो, दुज्झाओ, दुविचिंतिओ, अणायारो, अणिच्छियव्वो, असावगपाउग्गो, नाणे तह दसणे, चरित्ताचरित्ते, सुए सामाइए, तिण्हं गुत्तीणं, चउण्हं 1. प्रात:काल में राइयं, पक्खी के दिन पक्खियं, चौमासी के दिन चाउम्मासियं और संवत्सरी के दिन संवच्छरियं बोलें। 2. प्रात:काल में राइयो, पक्खी के दिन पक्खिओ, चौमासी के दिन चाउम्मासिओ और संवत्सरी के दिन संवच्छरिओ बोलें।
SR No.034357
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size2 MB
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