SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 100
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ { 64 [आवश्यक सूत्र 3. ब्रह्मचारी पुरुष, स्त्री के साथ एक आसन पर बैठे नहीं, बैठे तो घी के घड़े को अग्नि का दृष्टान्त । 4. ब्रह्मचारी पुरुष, स्त्री के अंगोपांग राग दृष्टि से निरखे नहीं, निरखे तो कच्ची आँख और सूर्य का दृष्टान्त। 5. ब्रह्मचारी पुरुष, टाटी, भीत के आन्तरे से स्त्री के विषयकारी शब्द सुने नहीं, सुने तो मयूर और मेघ का दृष्टान्त। 6. ब्रह्मचारी पुरुष, पहले के भोगे हुए काम भोगों को याद करे नहीं, करे तो डोकरी और बटाऊ का दृष्टान्त एवं जिनपाल-जिनरक्षित का दृष्टान्त । 7. ब्रह्मचारी पुरुष, प्रतिदिन सरस तथा बलवर्धक आहार करे नहीं, करे तो सन्निपात रोग में दूध और मिश्री का दृष्टान्त। 8. ब्रह्मचारी पुरुष, रुखा सूखा आहार दूंस-ठूसकर करे नहीं, करे तो सेर की हाँडी में सवा सेर का दृष्टान्त । 9. ब्रह्मचारी पुरुष, शरीर की शोभा विभूषा करे नहीं, करे तो रंक के हाथ में रत्न का दृष्टान्त । दसवें बोले दस यति धर्म-1. खंति-अपराधी पर भी वैर नहीं रखना, क्षमा करना। 2. मुत्तिनिर्लोभी होना । 3. अज्जवे-सरलता-निष्कपटता । 4. मद्दवे-कोमलता-विनम्रता । 5. लाघवे-द्रव्य से भण्डोपकरण रूप उपधि और भाव से कषाय रूप उपधि थोड़ी होना। 6. सच्चे-प्रामाणिकता से बोले व शुद्धाचार का पालन करे। 7. संयम-नाना प्रकार के व्रत नियमों का पालन करे (मन, इन्द्रियों तथा शरीर को काबू में रखना) 8. तवे-आध्यात्मिक शक्ति बढ़े, मनोबल दृढ़ हो, उस विधि से उपवास आदि तप करें। 9. चियाए (अकिंचन)-ममत्व का त्याग करें । 10. बंभचेरवासे-शुद्ध ब्रह्मचर्य का पालन करे और मैथुन से सर्वथा निवृत्ति करे। ग्यारहवें बोले श्रावक की ग्यारह प्रतिमाएँ-1. दर्शन प्रतिमा-एक मास की, निरतिचार समकित संवर का पालन करे । 2. व्रत प्रतिमा-दो मास की, निरतिचार नाना प्रकार के व्रत-नियमों का पालन करे। 3. सामायिक प्रतिमा-तीन मास की, निरतिचार शुद्ध सामायिक करे। 4. पौषध प्रतिमा-चार मास की, एक-एक मास में अतिचार रहित छ:-छः प्रतिपूर्ण पौषध करे। 5. कायोत्सर्ग प्रतिमा-पाँच मास की, हमेशा रात्रि में कायोत्सर्ग करे और इन पाँच बोलों का पालन करे-1. स्नान नहीं करे, 2. रात्रि-भोजन त्यागे, 3. धोती की एक लाँग खुली रखें, 4. दिन में ब्रह्मचर्य पाले और 5. रात्रि में ब्रह्मचर्य की मर्यादा करे। 6. ब्रह्मचर्य प्रतिमा-छ: मास की, निरतिचार पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करे । 7. सचित्त-त्याग प्रतिमा-जघन्य एक दिन उत्कृष्ट सात मास की, सचित्त वस्तु नहीं भोगे। 8. आरम्भ-त्याग प्रतिमा-जघन्य एक दिन
SR No.034357
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimalji Aacharya
PublisherSamyaggyan Pracharak Mandal
Publication Year
Total Pages292
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy