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________________ ४८ सहजता जाना हो तो डेढ़-दो घंटे तक नहीं जाते। ऐसा होता है या नहीं? संडास जाना हो तब भी एक घंटे के बाद। वर्ना, सभा में से उठेगा तो इज़्ज़त चली जाएगी न? यदि संडास जाना हो तो घंटे भर रोककर रखता है क्या? प्रश्नकर्ता : हाँ, तब भी रोककर रखता है। जब नहीं रोक पाता तब जाता है। दादाश्री : लेकिन यह सब जो किया है न, उससे देह का जो सहज स्वभाव था, वह सहज स्वभाव टूट गया। इसे सहज रहने ही नहीं दिया। अर्थात् कई जगह पर ऐसा किया है। यानी कि पहले नंबर की फाइल को बहुत नुकसान पहुँचाया है। इस देह को सहज नहीं रहने दिया, इसलिए अब, आपकी पहले नंबर की फाइल का समभाव से निकाल करना है। सभी वृत्तियों को दबाकर रखने से असहज हो गया है। थकने पर भी चलता रहता है। किसी होटल में खाने बैठा हो और पहले नंबर की फाइल का पेट भर गया हो और वह खाना स्वादिष्ट हो तो खाता ही रहता है, वह नुकसान करता है। पहले नंबर की फाइल को तो लोग बहुत परेशान करते हैं। ___ अगर कोई अच्छी पुस्तक हो तो पढ़ते ही रहता है, सोने का टाइम हो गया हो तब भी। उसे थोड़ा इन्टरेस्ट आ जाता है न! प्रश्नकर्ता : लेकिन दादा, यह पहले नंबर की फाइल ऐसी है, वह कल्पना में भी कहाँ से आता है ? दादाश्री : हाँ, 'मैं ही हूँ' सबकुछ। प्रश्नकर्ता : हाँ। वह तो आपके पास आए और आपने कुछ ऐसा जादूमंतर किया तब जाकर पता चला कि अब, यह हमारी फाइल है। वर्ना, हम भी ऐसे ही थे। दादाश्री : 'मैं ही हूँ' तब तू पीछे क्यों पड़ता है ? तब कहे 'अभी
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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