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________________ आज्ञा का पुरुषार्थ बनाता है सहज ४७ साहजिक दशा का थर्मामीटर प्रश्नकर्ता : सहजता लाने के लिए इस फाइल नंबर एक का भी समभाव से निकाल (निपटारा) करना पड़ेगा? दादाश्री : इस एक नंबर की फाइल के साथ कुछ झंझट नहीं है न? किसी भी प्रकार की नहीं है? ओहोहो! और एक नंबर की फाइल का गुनाह नहीं किया है? मैं अपने महात्माओं से पूछता हूँ कि 'पहले नंबर की फाइल का समभाव से निकाल करते हो न?' तब वे कहते हैं, 'पहले नंबर की फाइल का क्या निकाल करना है?' अरे, असली फाइल तो पहले नंबर की ही है। हम जो दु:खी है न, हमें यहाँ पर जो दुःख लगता है न, वह असहजता का दुःख है। मुझसे किसी ने पूछा था कि 'यह फाइल नंबर वन, उसे अगर फाइल न माने तो क्या हर्ज है? वह किस काम का? यह इसमें कुछ खास हेल्पिंग नहीं है।' तब मैंने ऐसा जवाब दिया कि 'इस फाइल के साथ तो बहुत ज़्यादा माथापच्ची की है इस जीव ने, इसे असहज बना दिया है।' तब कहते हैं, 'इन दूसरी फाइलों को हमने कुछ नुकसान पहुँचाया हो, वह तो समझ में आता है लेकिन अपनी फाइल को, पहले नंबर की फाइल को क्या नुकसान पहुँचाया, वह समझ में नहीं आता।' ये सब नुकसान किए हों, जब इसे अच्छी तरह से समझाएँगे तब समझ में आएगा, भाई। इन सभी फाइलों का 'समभाव से निकाल करते हैं। फिर, दो नंबर की फाइल के साथ तो झगड़े हुए हैं, झंझटें हुई हैं तो इसका समभाव से निकाल (निपटारा) करते हैं लेकिन यह फाइल नंबर एक, अपनी ही फाइल है। इसका कैसे निकाल करना है?' लेकिन लोगों को यह पता नहीं चलता कि क्या निकाल करना है ! इसके तो बेहिसाब निकाल करने हैं। तब मैंने उन्हें समझाया। तब वे कहते हैं, 'यह बात भी बहुत सोचने लायक हो गई, यह तो।' बाहर प्रधानमंत्री और उन सभी के भाषण चल रहे हो, उस समय यदि थूकना हो न, तो वे थूकते नहीं। सभा में बैठे हो न, पेशाब करने
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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