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________________ [2] अज्ञ सहज - प्रज्ञ सहज वह सहज भी प्राकृत सहज प्रश्नकर्ता : आत्मा का जो ऐश्वर्य है, वह सहजपने से ही प्रकट होता होगा न ? दादाश्री : सहज रहने से ही, जितना सहज होगा उतना ऐश्वर्य प्रकट होगा। अब सहज तो फॉरेन वाले भी हैं। अपने बच्चे भी सहज हैं, लेकिन वह अज्ञान सहजता है । जबकि यह ज्ञानपूर्वक की सहजता रहेगी, तो वैसा होगा। प्रश्नकर्ता : अज्ञान सहजता कम - ज़्यादा मात्रा में होती है ? दादाश्री : इन पुरुषों के मुकाबले, स्त्रियाँ (ज़्यादा) सहज हैं। यहाँ की स्त्रियों से ज़्यादा सहज फॉरेन वाले हैं और उनसे भी ज़्यादा, ये जानवर, पशु-पक्षी सभी ( ज़्यादा ) सहज हैं ! प्रश्नकर्ता : उन सभी की सहजता ज्ञान से है या अज्ञानता से ? दादाश्री : उनकी सहजता अज्ञानता से है । इन गाय-भैंसों की सहजता कैसी है? गाय उछलकूद करे, सींग मारने आए, फिर भी वह सहज है। सहज अर्थात् जो प्रकृति स्वभाव है, उसमें तन्मयाकार रहना, दखल नहीं करना, लेकिन यह अज्ञानता से सहज है। अगर गाय के बछड़ों को पकड़ने जाएँ, तो उनकी आँखों में बहुत दुःख जैसा दिखाई देता है, इसके बावजूद वे सहज हैं। इस सहज प्रकृति में जिस तरह भीतर ‘मशीन' घूमती रहती है, उसी तरह वह खुद मशीन
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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