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________________ १५२ सहज दशा तक पहुँचने के प्रयत्न में १२८ जहाँ नो लॉ लॉ, वहाँ सहजता १४६ परिग्रह के सागर में संपूर्ण अपरिग्रही १३० सहजता, ज्ञानी की १४७ [९] नहीं करना कुछ भी, केवल जहाँ पोतापणुं नहीं वहाँ निरंतर सहज १४८ ज्ञानी का सहज शुभ व्यवहार १४८ जानना है ज्ञानी की विलक्षणता १४९ सहजता का मतलब ही अप्रयास दशा १३२ योगी और ज्ञानी में अंतर १४९ 'देखने' से चले जाते हैं अंतराय, नहीं...१३५ ज्ञानी के ज्ञान से छुटकारा जहाँ संयोग निकाली है वहाँ झंझट... १३६ १५० संयोग पराये, सहजता खुद की १३७ अहंकार रहित ज्ञानी १५१ अंतर, 'करना पड़ता है' और 'बरतते...१३८ वेदना में देह सहज स्वभाव दशा, सहजात्म स्वरूप की १३९ सहज आत्मा वह स्व-परिणामी १५४ 'केवलज्ञान' के लिए कुछ करना है? १४० जो वेदना में स्थिर, वह अहंकारी १५५ जहाँ दखलंदाजी नहीं, वहाँ अपने... १४० देखना है मात्र एक पुद्गल को ही १५५ [१०] 'सहज' को देखने से, प्रकट 'ज्ञान' देना वह पुरुषार्थ १५६ होती है सहजता [११] विज्ञान से पूर्णता की राह पर करने से नहीं, देखने से होता है... १४२ प्रकट होता है आत्मऐश्वर्य, सहजपने.. १५८ ज्ञानी की अनोखी साहजिकता १४३ सहजात्म स्वरूपी हैं 'ये' ज्ञानी १५९ फोटो मूर्ति का, खुद अमूर्त में १४४ आश्चर्यजनक कल्याणकारी 'यह'... १६० नोट : मुख्यपृष्ठ (टाइटल पेज) के विस्तृत रूप से समझने के लिए चैप्टर नंबर २ (अज्ञ- सहज - प्रज्ञ सहज) का अभ्यास कीजिए) 38
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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