SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 26
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ असीम जय जयकार हो' कितने लोग बोलते हैं ? एक भी नहीं बोलता । क्योंकि उनकी बुद्धि इतनी बढ़ गई है कि उनका शुक्ल अंत:करण ही खत्म हो गया है। ऐसे ताली बजाकर क्यों गाना चाहिए ? असहजता को निकालने के लिए। दादा भगवान ऐसे अनोखे प्रयोग से असहजता को दूर करवाते थे 1 यह ज्ञान तो मिल गया लेकिन अब, पूर्ण सहजता आनी चाहिए न? मंदिर से दर्शन करके आए तो नए जूते चोरी हो गए हो, या तो रास्ते में किसी ने कपड़े उतरवा लिए हो तब भी हमें संकोच रहता है, वही असहजता है। यानी अंदर इस प्रकार से तैयारी, सेटिंग करके पहले से ही संकोच को दूर कर लो और सहजता लाओ। इस संसार में किसी भी प्रकार का भय नहीं रहना चाहिए। कैसी भी स्थिति में सहज रहेगा तो मोक्ष होगा। असहजता से ये एटिकेट के भूत चिपके हैं । जो पूर्ण सहज को भजेंगे तो वे भी सहज हो जाएँगे । ताली बजाने या नहीं बजाने से मोक्ष में जाएँ ऐसा कोई नियम नहीं है। मोक्ष में जाने के लिए तो व्यक्ति कितना सहज रहता है, वही नियम है। चुपचाप बैठे रहना, ताली नहीं बजाना, एटिकेट में रहना, ऐसी सभी चिढ़ घुस गई हैं । इस चिढ़ को निकालने के लिए दादाजी गरबा करवाते, भक्ति करवाते, माता जी के दर्शन, महादेव जी के दर्शन, मंदिरों में दर्शन करवाते, मस्जिदों में दर्शन करवाते, इन सब से असहजता खाली होती जाती है। अपना विज्ञान क्या कहता है कि किसी भी तरह से सहज हो जाओ। सहज अर्थात् क्या कि लोगों से डरना नहीं । यदि कोई देख लेगा । तो? गाय-भैंसों से नहीं डरते तो लोगों से क्यों डरते हो ? आत्मा तो सभी में समान ही है लेकिन मनुष्यों से शर्म आती है । असहजता का रोग निकालने के लिए दादा कभी किसी को गले में हार पहनकर घर जाने के लिए कहते, यात्रा में जहाँ बड़ा स्टॉप आया हो वहाँ स्टेशन पर उतरकर गरबा करवाते। वहाँ सभी मुक्त मन से गरबा करते । वे किसी से दबे हुए नहीं, किसी की शर्म नहीं, ऐसे सहज दशा में रहते हैं । 25
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy