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________________ अंत में प्राप्त करना है अप्रयत्न दशा ११५ प्रश्नकर्ता : यदि खाना याद आए, चाय याद आए, उन सब के विचार आया करे तो वह सहजता टूट गई कही जाएगी? दादाश्री : सहजता टूट ही जाएगी न! सहजता के टूटने से आत्मा कुछ नहीं खाता, वह तो खाने वाला खाता है। अंत में देह को सहज करना है। आहारी हुआ लेकिन सहज करना है। सहज ही होने की ज़रूरत है। सहज होने में टाइम लगेगा लेकिन सहज अर्थात् पूर्णता। सहज योग प्राप्त करने का तरीका प्रश्नकर्ता : देह को सहज होने के लिए कुछ साधन तो चाहिए न? दादाश्री : हाँ, साधन के बिना सहज कैसे हो पाओगे? और फिर ज्ञानी पुरुष के दिए हुए साधन चाहिए, कैसे? प्रश्नकर्ता : कोई भी साधन नहीं चलेगा? किसी का भी दिया हुआ नहीं चलेगा? दादाश्री : यदि सहज योग प्राप्त करना है, जिसे अज्ञान दशा है, भ्रांति की दशा है, उसमें भी सहज रूप से रहने की शुरुआत करेगा तब सहज मार्ग प्राप्त होगा। सुबह कोई चाय दे जाए तो पी लेना, नहीं दी तो कुछ भी नहीं। खाने का दे तो खा लेना, वर्ना, माँगकर नहीं खाना। वहाँ ऐसे-ऐसे इशारा करके भी नहीं खा सकते। इस काल में वह सहज योग बहुत कठिन है। सत्युग में सहज योग अच्छा था। अभी तो माँगे बगैर लोग देते ही नहीं न! वह सहज योग वाला तो मारा जाएगा बेचारा, यह कठिन चीज़ है। यदि यहाँ सो जाओ ऐसा कहे तो सो जाना। माँगने का मौका नहीं आना चाहिए। सहज प्राप्त संयोगों में ही रहना पड़े तो वह सहज योग है। बाकी, दूसरे सभी तो लोगों ने कल्पना करके निर्मित किए हुए धर्म हैं। सहज योग होता ही नहीं। वह कोई लड्डु खाने जैसा खेल नहीं है। सभी ने कल्पनाएँ निर्मित की हैं। यदि एक महीने तक सहज रहेंगे तो फिर और कोई सहज योग
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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