SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११२ सहजता कारण बात समझ में नहीं आती। वर्ना, बहुत ही सरलता से काम पूरा हो जाता है। संसार तो ऐसा है कि बहुत अच्छी तरह से चलता है। अब तो ऐसा है कि यदि इस व्यवस्थित को यथार्थ रूप से समझ लेंगे न तो ऑफिस में आठ घंटे का काम एक घंटे में हो जाएगा। एक ही घंटे में पूरा हो जाए इतना ऊँचा दर्शन प्राप्त होता है। ऐसे दिखाई दिया व्यवस्थित प्रश्नकर्ता : किसी भी कार्य को होने में द्रव्य-क्षेत्र-काल और भाव, चार चीज़ों की ज़रूरत पड़ती है तो वे क्या हैं? उदाहरण देकर समझाइए। दादाश्री : मुझे अपने घर के कमरे में बैंच पर बैठे-बैठे दो-तीन दिनों से ऐसे विचार आते रहते हैं कि मुझे बाल कटवाने हैं। विचार आने के बाद तुरंत काम नहीं होता। वर्ना, जैसे-जैसे दिन बीतते जाते हैं वैसेवैसे अंदर बोदरेशन बढ़ने लगता है। बोरियत होती है। अर्थात् पहले मुझे भाव हुआ। द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव में से पहले भाव हुआ। फिर एक दिन तय किया, आज तो जाना ही है। घर में कह दिया कि कोई भी आए तो बैठाकर रखना, मैं जाकर आता हूँ। अब वहाँ पर लिखा हो, आज मंगलवार है इसलिए बंद है। किस कारण से? क्षेत्र नहीं मिला। दुकान जाकर वापस आया। जिस दिन जाकर वापस आते हैं न, उसके बाद पूरे दिन यही याद आता रहता है कि चलो जाना है, जाना है। फिर दूसरे दिन गया, वहाँ उस बाल काटने वाले के लड़के ने दुकान खोली थी। वह कहता है कि 'चाचा आओ, बैठो।' मैंने पूछा, 'बाल काटने वाला कहाँ गया?' तब कहने लगा, 'वह तो अभी गया है चाय पीने के लिए। वह दस मिनट में आ जाएगा।' अर्थात् उसका दंड तो अगले दिन मिला तो समझ गया कि पंद्रह मिनट में कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। अब भाव हुआ, क्षेत्र मिला, द्रव्य नहीं मिला। यदि द्रव्य मिले तो काल मिलता है। फिर वह आया और काल के मिलते ही कट, कट, कट करके बाल काट दिए। इसलिए मैं बड़ौदा में क्या करता था? जब ज्ञान नहीं था तब भी
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy