SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 144
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ज्ञानी प्रकाशमान करते हैं अनोखे प्रयोग १०५ अंबा माता जी अर्थात् सहज प्रकृति। हर एक देवी के नियम रहते हैं। उन नियमों का पालन करने से देवियाँ खुश रहती हैं। हम अंबे माँ के इकलौते लाल हैं। यदि आप माता जी के पास हमारी चिट्ठी लेकर जाओगे तो वे स्वीकार करेंगी। जैसे कि यह आपका बेटा है और नौकर है लेकिन यदि नौकर आपके नियम में ही रहता है तो आपको नौकर प्यारा लगेगा या नहीं? लगेगा ही। हमने कभी भी अंबे माँ के, लक्ष्मी जी के और सरस्वती देवी जी के नियम नहीं तोड़े। निरंतर उनके नियम में ही रहते हैं इसीलिए वे तीनों देवियाँ निरंतर हम पर प्रसन्न रहती हैं। यदि आप भी उन्हें प्रसन्न रखना चाहते हो तो आपको उनके नियम का पालन करना चाहिए। प्रश्नकर्ता : अंबा माता के क्या नियम हैं? हमारे घर सभी अंबे माँ की भक्ति करते हैं लेकिन उनके क्या नियम हैं, उन्हें हम नहीं जानते। दादाश्री : अंबा माता जी अर्थात् क्या? वे प्रकृति की सहजता को सूचित करती है। अगर सहजता टूट गई तो अंबा जी आप पर प्रसन्न ही कैसे होंगी? इन अंबा जी का तो क्या कहना? वे तो माता जी हैं, माँ है। बंगाल में वे दुर्गा कहलाती हैं। वे ही ये अंबा जी हैं। सभी देवियों के अलग-अलग नाम रखे हैं लेकिन ज़बरदस्त देवी है! पूरी प्रकृति है। पूरी प्रकृति का जो भाग है तो वे माता जी है। यदि प्रकृति सहज हो गई तो आत्मा सहज हो ही जाता है। आत्मा और प्रकृति, उन दोनों में से एक सहज की तरफ चला तो दोनों सहज हो जाएँगे!
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy