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________________ अंत:करण में दखल किसकी? दादाश्री : यदि बिल्कुल भी इमोशनल नहीं हुए तो बहुत अच्छा होगा, हन्ड्रेड परसेन्ट काम होगा। प्रश्नकर्ता : ज्ञाता-दृष्टापना की नींव जितनी पक्की होगी उतना इमोशनल नहीं होंगे, जितना इमोशनल नहीं हुए उतना ज्ञाता-दृष्टापना पक्का है? दादाश्री : यदि इमोशनल हुए तो ज्ञाता-दृष्टापना कच्चा रहेगा। अगर बिल्कुल भी इमोशनल नहीं हुए तो संपूर्ण ज्ञाता-दृष्टापना रहा, उसे साहजिकता कहते हैं। यदि इमोशनल हुआ व्यक्ति कोर्ट में गवाही देगा न, तो वह क्लम्ज़ी (अनगढ़) देगा। कैसा देगा? ठिकाना बगैर का देगा और साहजिक व्यक्ति तो बहुत अच्छा देगा। प्रश्नकर्ता : कोर्ट में जो गवाही देते हैं, वे तो लुच्चे और होशियार व्यक्ति ही अच्छी तरह से देते हैं। दादाश्री : वे प्रेक्टिकल हो चुके हैं। दूसरे लोगों का काम नहीं। दूसरे लोग तो इमोशनल हो जाते हैं। जो प्रेक्टिकल हो चुके हैं वे जड़ हो चुके हैं। जहाँ ज्ञाता-दृष्टा वहाँ सहजता प्रश्नकर्ता : व्यवहार में सफल होने के लिए हमें किस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए? दादाश्री : आपको तो, जहाँ पर इमोशनल न हो ऐसी दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। वे लोग तो इमोशनल से भी आगे, जड़ हो चुके हैं। वे इमोशनल नहीं हैं। प्रश्नकर्ता : हाँ, लेकिन ऐसे लोग व्यवहार में जीत जाते हैं। उनके जैसे सफल होने के लिए क्या जड़ होना पड़ेगा? दादाश्री : वे बेशर्म हो गए हैं। प्रश्नकर्ता : तो क्या सफल होने के लिए हमें बेशर्म होना है?
SR No.034326
Book TitleSahajta Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages204
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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