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________________ [1.1] परिवार का परिचय कहने के लिए है। वास्तव में विरासत जैसा कुछ होता नहीं है। उसका अर्थ कुछ और ही है। यों लौकिक में ऐसा कहते हैं कि 'विरासत में मिला है, लेकिन वास्तव में वह करेक्ट बात नहीं है। इस बात के पीछे बहुत गहरी बातें हैं। विरासत में यह मिला था लेकिन पूर्व जन्म का मेरा कोई हिसाब रहा होगा न! पूर्व जन्म से, अनंत जन्मों से कुछ लाया होऊँगा न! वह लेकर आया था, इसलिए यह सब प्रकट हुआ। मैं अपना लेकर आया था इसीलिए तो उनके घर पर जन्म हुआ न! उनकी वजह से ही प्रकट हुए। उनमें देखने से ही प्रकट हुए। उनमें देखा, इसलिए प्रकट हुआ। दैवीय कुटुंब था, इसलिए नमस्कार करते थे गाँव वाले हमारा परिवार बहुत अच्छा था। मुझे तो हमारे गाँव में दो-तीन लोग क्या कहते थे कि, 'आपके माता-पिता और आपके घर को तो हम नमस्कार करते हैं। कितने लागणी (लगाव, भावुकता वाला प्रेम) वाले हैं, किसी का काम निकाल दें, ऐसे हैं ये लोग! जिनका केस हाथ में लेते हैं न, उनका पूरा ही काम कर देते हैं। इतने लागणी वाले, दयालु, किसी का भी हड़पते नहीं थे, और ये हरहाया नहीं हैं।' हरहाया पशु (आवारा पशु, हर तरफ घूमकर फसल को हानि पहुँचाने वाला) जैसे लोगों ने इकट्ठा किया होता है और वे और भी ज्यादा इकट्ठा करते हैं। हम इकट्ठा नहीं करते थे। अरे ! जितना हमारे नसीब में होगा उतना आएगा। किसी-किसी जगह पर तो मेरे पैर छूते थे और कहते थे, 'धन्य है आपका परिवार'। कभी भी कोई ऐब नहीं, दाग़ नहीं। वर्ना चोरी, लुच्चापन यदि ऐसा कुछ हो तो तिरस्कार होता है। नहीं होता? प्रश्नकर्ता : होता है। दादाश्री : एक भी ऐब नहीं। मूलजी काका के अवसान के समय पैसे नहीं थे फिर भी मणि भाई ने कहा, 'मुझे तो पूरे मुहल्ले को खाना खिलाना है।' इच्छा तो पूरे मुहल्ले की है, और किया भी। पैसे नहीं थे
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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