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________________ [1.1] परिवार का परिचय दादाश्री : अरे! मंदिर नहीं, उस जगह के तो न जाने कितने रुपए आएँगे, वह तो भगवान जाने ! प्रश्नकर्ता : उसे कोई बेच थोड़े ही देंगे, दादा? यह तो महाभाग्य है कि ऐसा वह घर, जहाँ दादा का जन्म हुआ ! दादाश्री : वहाँ पर, लोग उस रूम के दर्शन करने जाते हैं। उस रूम को खरीद लेना है लाखों रुपए खर्च करके भी। छोड़ेंगे नहीं न ये लोग! प्रश्नकर्ता : नहीं छोड़ेंगे दादा। दादाश्री : भादरण का मकान भी नहीं छोड़ेंगे। प्रश्नकर्ता : नहीं छोड़ेंगे, दादा। दादाश्री : जहाँ चरण पड़े वहाँ तीर्थ बन जाता है! प्रश्नकर्ता : हाँ दादा! आपके चरण पड़े हैं। ये दादा तो चलतेफिरते, जीते-जागते और बोलते हुए विद्यमान तीर्थ हैं! दादाश्री : वर्ल्ड का बहुत बड़ा आश्चर्य है! लेकिन लोग जानते नहीं हैं न बेचारे। फिर क्या हो सकता है? अवतरित हुए उस धन्य दिवस ये परमात्मा प्रश्नकर्ता : दादा, आपके जन्म की तारीख कौन सी है, वह जानना है। दादाश्री : आप बताओ न इन्हें, आप जानते हो न? (दादाश्री किसी अन्य महात्मा से कहते हैं।) महात्मा : संवत 1965, कार्तिक सुद चौदस। और अंग्रेजी की 1908 लेकिन तारीख कौन सी? दादाश्री : सात नवम्बर, तेरस है लेकिन लोग चौदस को मनाते हैं। उसमें टाइम में कुछ फर्क है ज़रा सा। प्रश्नकर्ता : हं। वास्तव में तेरस है ?
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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