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________________ जान छुड़वाने के लिए लोगों ने... 322 सामने कोई प्रतिस्पंदन नहीं होने से... 194 प्रकृति को पहचानकर बोधकला से.. 323 [10] प्रकट हुए गुण बचपन से भतीजा था इसलिए मन में ऐसा भाव.. 324 [10.1] शुरू से ही असामान्य उल्टा बोले फिर भी देखते थे... 325 व्यक्तित्व अहंकार भग्न लेकिन उसके गुण... 326 असामान्य बनने का विचार 353 दादा ने ध्यान रखकर शादी करवाई... 327 नहीं माफिक आया कपट, सरलता.. 355 निकाल देना तो सभी को आता है... 329 मैं पैसे देता था कि जिसे धोखा.... 331 किसी के लिए भी दखल रूप नहीं... 357 357 मेरे पैसों से सुधर जाए तो भी बहत... 333 कपट व ममता थे ही नहीं ढूँढ निकाला कि यह तो मेरे पैसों... 334 [10.2 ] ममता नहीं यों पैसे पानी की तरह बहाता था... 335 वहाँ पर खाता ज़रूर था लेकिन घर.. 358 'टकराव टालना' सूत्र प्रकाश में... 336 ममता नहीं थी इसलिए जगत् दिखाई.. 358 नियम से सूत्र का पालन किया... 337 शुरू से ही अपरिग्रही, लालच या... 359 'टकराव टालना', जल्दी मोक्ष में... 339 [10.3] ओब्लाइजिंग नेचर भतीजे का रोग निकालने के लिए... 339 किस तरह नेगेटिव गुण को पॉज़िटिव340 ठगे जाते थे, फिर भी औरों का काम.. 361 पढ़ेगा नहीं तो व्यवहारिक सूझ तो... 341 । किसी को कैसे खुश करूँ, उसी में 362 दादा के भतीजे का अनुभव उनके ही..342 लेते हुए भी नुकसान उठाया और... 362 अच्छे-खराब के सर्टिफिकेट में भी... 346 दुकान वालों को दुःख न हो इसलिए.. 363 चचेरे भाईयों का गुण, वे टेढ़ा बोलते.. 347 कमिशन का आरोप न लगे इसलिए... 364 देखकर शुद्धात्मा, लटू के लिए नहीं.. 348 अपनी तारीफ पसंद थी और हेतु यह.. 365 नाटकीय रिश्ता रखा सब के साथ 349 आठ आने के लिए शंका करके प्रेम... 365 लीजिए अपनी पुस्तकें और ज्ञान... 350 दो रुपए के लिए नहीं बनता हमारा... 366 दादा की सही पहचान नहीं हुई 330 वेस्ट का किया बेस्ट उपयोग.... 367 61
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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