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________________ 408 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) प्रश्नकर्ता : नहीं। दादाश्री : अब आप बताओ, क्या नियमराज कोई भयभीत होने जैसी चीज़ है? ज़रा सा भी डरने जैसा है इसमें कुछ ? अब नियमराज से डर लगेगा? प्रश्नकर्ता : नहीं लगेगा। दादाश्री : इंसान नियम से मरता है। नियमराज ले जाते हैं, उसमें क्या भयभीत होने जैसी कोई चीज़ है? नियम से जन्म लिया है और नियम से मरते हैं और व्यवस्थित के ताबे में हैं। अब क्या नियमराज को तनख्वाह देनी पड़ेगी? नियम से सुबह होती है, नियम से रात पड़ती है। नियमराज आपको समझ में आया? नियम ही ले जाता है। प्रश्नकर्ता : अब इसका हिसाब कौन रखता है? दादाश्री : कुदरत का हिसाब ऐसा है कि इसका हिसाब नियम ही रखता है। नियमराज अर्थात् कुदरत के नियम के अनुसार ही चलता है उसमें, बीच में भगवान की कोई ज़रूरत नहीं है। आप व्यवस्थित को जानते हो न? व्यवस्थित ही करता है न यह सब? अब इसमें कहीं मरने का रहा? अतः वहाँ रास्ते में कोई कष्ट-वष्ट नहीं देता। कोई है ही नहीं, कोई बाप भी नहीं है वहाँ पर। यमराज क्या वहाँ मारते-मारते ले जाते मैंने कहा, 'कोई भयभीत मत होना। कोई लेने नहीं आएगा, नियमराज है। यह आपको अच्छा लगेगा?' तब कहा, 'यह तो बहुत अच्छा है। तब तो भय नहीं लगेगा, नियमराज है इसीलिए'। लोग समझते हैं कि यह नियमराज है, अब हर्ज नहीं है। नियमराज को पहचाने आप? यदि नियमराज कहेंगे तो कितनी घबराहट होगी? नियमराज कहने से स्पष्ट समझ में आ जाएगा। उन सब की घबराहट खत्म हो जाएगी। हम यह सारा कचरा निकाल देते हैं। इस नियमराज की जगह पर यमराज शब्द रखकर लोगों का तेल
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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