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________________ 304 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) वेल्डिंग करने वाला हमेशा मार ही खाता है प्रश्नकर्ता : दादा, वह तो आपने अच्छा ही किया था न! उन लोगों के झगड़े न बढ़े इसलिए आपने वेल्डिंग कर दी। दादाश्री : हाँ, लेकिन 'वेल्डिंग' करने से मार पड़ती है, और अगर 'वेल्डिंग' नहीं करें तो 'आइए चाचा, आइए चाचा' करेंगे। लेकिन मारकर सभी ने वैराग्य बढ़ाया न! फिर कुल मिलाकर हमें क्या मिला? वैराग्य मिला, नहीं तो वैराग्य तो आता ही नहीं है न! इस दुनिया पर वैराग्य कैसे आएगा? क्या आपको थोड़ा-बहुत वैराग्य आता है? इस दुनिया में 'वेल्डिंग' करने में तो हमेशा मार ही खानी पड़ेगी और उसके बाद वैराग्य आएगा कि 'इन दोनों के सुख के लिए 'वेल्डिंग' की, फिर भी हमें मार ही पड़ी!' यों हमने बेहिसाब मार खाई है! भतीजे ने संयोगवश कुछ ऐसा कहा होगा प्रश्नकर्ता : परिवार में सामने वाले के लिए अच्छा करने गए फिर भी मार पड़ी। ऐसे समय में आप क्या समझ हाज़िर रखते थे? दादाश्री : हमारे भतीजे चिमन भाई पर कर्जा हो गया था। तो उनका घर नीलाम हो रहा था, तो लोग उसके लिए इकट्ठे हुए। तब मुझे ऐसा लगा कि इनके बच्चे क्या करेंगे? बेघर हो जाएँगे। तो नीलामी में वह घर मैंने रख लिया। अगले ही दिन एक व्यक्ति अहमदाबाद में चिमन भाई के वहाँ गया। मूलतः तो भादरण में चिमन भाई की इज़्ज़त खत्म हो ही चुकी थी तो फिर वह इज़्ज़त खत्म करने अहमदाबाद गया। पाँच-सात लोग बैठे हुए थे और चिमन भाई से कहा, 'अरे! चिमन भाई, भादरण वाला तेरा घर नीलाम हो गया है और तेरे चाचा अंबालाल ने खरीदा है'। तब चिमन भाई ने तुरंत ही कहा कि, 'उसमें उन्होंने नया क्या किया? मुझे अंबालाल चाचा से आठ-दस हज़ार लेने हैं'। तो वह व्यक्ति वापस हमारे घर आया और जब बा बैठे थे तब उन्होंने यह बात शुरू की। मैं सावधान हो गया और समझ गया कि यह वापस मेरे घर में झगड़ा करवाएगा।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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