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________________ को गट्टर गिनने के लिए ले गए थे। गट्टर निकालने वाले की उँगली में से उसकी अंगूठी खिसक गई और नीचे गिर गई या कुछ भी हुआ हो। अंबालाल ने वह नीचे गिरी हुई अँगूठी देखी और उस पर पैर रखकर नौकर को दूसरे काम में लगा दिया और फिर वह अंगूठी उठाकर जेब में रख ली। ___ यह बात उन्होंने खुद बताई। तब उस समय क्या हुआ था, ऐसा क्यों हुआ, और उस समय उनके अंत:करण में कैसी उथल-पुथल हुई, वह भी बताया है। उन दिनों जो ज्ञान था उस ज्ञान ने मुझे ऐसा बताया कि हमें तो यह अंगूठी मिली है इसलिए इसे चोरी नहीं कहते। इंसान को जिस समय जो भी ज्ञान भरा हुआ हो, वही अंदर से प्रकट होता है, अंदर से उसे जो भी दिखाता है उसी अनुसार वह खुद चलता है, कार्य कर देता है। उसके बाद उन्होंने खुद पेटलाद जाकर उस अंगूठी को बेचकर चौदह रुपए पाए और वे रुपए दोस्तों के साथ मौज-मज़े करने में खर्च कर दिए। उसके बाद तो अपनी इस भूल पर उन्हें बहुत पछतावा हुआ था। वे अँगूठी के मालिक को ढूँढने गए। पता लगाया तो उस व्यक्ति की तो मृत्यु हो चुकी थी। तब उन्हें ऐसा भाव हुआ कि इस अंगूठी के दस-बीस गुना पैसे उन्हें दे दें। वह व्यक्ति सौ या पाँच सौ गुना माँगे फिर भी देने को तैयार थे। उसके बाद से तय किया कि इतने ही पैसे कहीं पर दान में दे देंगे। फिर उस व्यक्ति के लिए प्रार्थना की 'जो कुछ भी उनका है, वह हमारी तरफ से उन्हें मिल जाए'। फिर बाद में वह केस कुदरत को सौंप दिया। दिल की भावना थी कि किसी का भी उधार बाकी नहीं रहे, अनेक गुना करके उसे वापस दे दें। जितनी-जितनी भूलें कीं, समझ आते ही उन भूलों में से निकल गए। जीवन में वैसी भूलें फिर कभी भी रिपीट नहीं होने दीं। जीवन में एक चीज़ जिसमें वे पूरी तरह से शुद्ध रहे थे, वह था विषय विकारी संबंध। कुल के अभिमान की वजह से यह एक संभल गया। कहीं भी स्थूल विषय-विकारी संबंध नहीं हुए। बहुत 33
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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