SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ टी.वी. के माध्यम से सत्संग व ज्ञान का प्रसार हो रहा है, जो अनेकों को सन्मार्ग पर ला रहा है। ___अभी की प्रजा में मोह बहुत बढ़ गया हैं इसलिए तिरस्कार, जाति-के भेदभाव, आग्रह वगैरह सब डाउन हो गए हैं। प्रजा मोही हो गई है। ऐसी डाउन तक गई हुई प्रजा को ऊपर उठने में देर ही नहीं लगेगी। 1922 मे जिनका जन्म हुआ था, वे पायजामे वाले बने। 1921 तक जिनका जन्म हुआ, वे धोती वाले ही रहे। पुरुषों के पहनावे में ये दो विभाग बन गए थे। [4] नासमझी की वजह से गलतियाँ बचपन से ही शरारत करने की आदत थी इसलिए लोगों की मज़ाक उड़ाता था लेकिन ज्ञान के बाद समझ में आया कि अरे-अरे, ये कैसे दोष! लेकिन उन दिनों तो भान ही नहीं था। मसखरी करनाशरारत करना, वह भी कैसी कि बड़े लोग, जो वृद्ध और बूढ़े होते थे, जिन्हें आँखों से ठीक से दिखाई नहीं देता था तो उनके रूम में दो-चार पिल्ले डाल देते थे। फिर वे वृद्ध चिल्लाते थे, परेशान हो जाते थे। छ:-सात साल के बच्चे कितनी शरारत करते हैं! वह तो, जब खुद बड़े होते हैं तब उनकी परेशानी समझ में आती है। खुद की बुद्धि ज़्यादा हो तो उसका उपयोग किसमें होता है? कम बुद्धि वाले का मज़ाक उड़ाने में किया न! यह जोखिम समझ में आने के बाद उन्होंने मज़ाक उड़ाना बंद कर दिया। अंतरायी हुई बुद्धि थी इसीलिए कुटुंब के सभी भतीजे 'सलियाखोर' (बहुत शरारत करने वाला) कहते थे। बुद्धि पर अंतराय हो और किसी चीज़ में मज़ा नहीं आता हो, तब इस तरह की शरारत करते हैं। खुद यहाँ पर बैठा हो और वहाँ पर पटाखा फूटे तो सब को मज़ा आ जाता है। गधे के पीछे उसकी पूँछ में डिब्बा बाँध देते थे। उसके बाद 31
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy