SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 312
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [8.1] भाभी के साथ कर्मों का हिसाब 247 जाएगा न? हाँ, मैं तेरा सब काम कर दूंगा, मुझे घर पर पैसे नहीं ले जाने हैं लेकिन मेरा रौब रख। रौब होना चाहिए मेरा तो, बस! और कुछ भी नहीं। प्रश्नकर्ता : दखलंदाजी नहीं चाहिए। दादाश्री : नहीं और कुछ भी नहीं चाहिए, इसमें सब आ गया। वह व्यक्ति तो इतना खुश हो गया, उसे बहुत अच्छा लगा। अरे! यह तो बहुत अच्छी बात है, ऐसा कहा। उसने हाँ कह दिया, 'हर तरह से जैसा आप कहोगे वैसा, आपको तीन आने (अठारह प्रतिशत) की पार्टनरशिप दूंगा'। मैंने कहा, 'मेरे लिए बहुत हो गए तीन आने। मेरा खर्च निकल जाएगा तो बहुत हो गया। मैं पैसे इकट्ठे करने नहीं आया हूँ आपके यहाँ। मैं तो इसलिए आया हूँ क्योंकि मुझे मेरा ओहदा नहीं छोड़ना है'। उस शर्त पर मैं वापस घर आ गया, जिस दोस्त के यहाँ रुका हुआ था उनके वहाँ। अगले ही दिन मणि भाई लेने आ गए। रहने ही नहीं दिया न! फिर बड़े भाई ने वहाँ नहीं रहने दिया, वर्ना मैं तो जमा देता, देर ही नहीं लगती। बड़े भाई की मर्यादा रखी, वापस घर चले गए प्रश्नकर्ता : बड़े भाई आपको ढूँढकर लेने आए थे? दादाश्री : उसके बाद बड़े भाई आकर खड़े रहे। मेरे दोस्त के यहाँ नहीं ठहरे। उनके साढू रहते थे पूँजा भाई करके, यों अपने मुहल्ले के थे, उनके वहाँ जाकर रुके। फिर उनके साढू और वे, दोनों ही ढूँढतेढूँढते यहाँ आए थे गाड़ी लेकर। बड़े भाई और वे आए थे इसलिए मुझे तो मन में ऐसा लगा कि अब तो वापस जाना पड़ेगा। आँखों से आँखें मिलीं न, तब उन्होंने मुझसे कहा, 'यह नहीं हो सकता'। उनकी आँखों में ज़रा पानी भर आया था। प्रश्नकर्ता : आएगा ही न, दादा।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy