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________________ 222 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) थे। वर्ना वे किसी से नहीं दबे। वे तो ऐसे थे कि किसी को भी बेच दें। यानी कि 'जब पहली पत्नी मर गई थी तब तो लोगों ने मेरे सिर पर आरोप मढ़ा, और अगर ये दूसरी बार वाली भी मर जाएगी तो लोगों को प्रमाण मिल जाएगा और आरोप मेरे सिर लगेगा'। अब सही-गलत तो भगवान जाने, लेकिन आरोप तो लगा था न! प्रश्नकर्ता : इसलिए वह डर बैठ गया था? दादाश्री : वे मुझसे कहते थे, 'वर्ना इस स्त्री की क्या बिसात?' कला करके भाई को दिखाया भाभी का कपट प्रश्नकर्ता : तो फिर डर बैठ गया था न? दादाश्री : हाँ, डर बैठ गया था। फिर हमारे भाई जरा अंदर ठंडे पड़े, तब मैंने कहा, 'आप बैठिए। मैं ज़रा भाभी को धक्का मारकर आता हूँ'। फिर भाभी से कहा, 'चलो न, अभी मैं आपको सुर-सागर तक ले जाता हूँ। चलो, मैं आपके पीछे आता हूँ, वहाँ अकेले डर लगेगा आपको। आपको अकेले कूदना नहीं आएगा। मैं वहाँ पर खड़ा रहूँगा। यदि आपकी हिम्मत नहीं होगी तो मैं आपको धक्का मार दूंगा पीछे से'। तब उन्होंने मुझसे कहा, 'आप गिरो'। तो हमारे बड़े भाई ने वह सुन लिया। ___ मुझे तो बड़े भाई के सामने भाभी से यह बुलावाना था। ताकि हमारे बड़े भाई देख लें कि 'यह स्त्री तो खूब है!' और बल्कि मेरे भाई को कहती हैं। इस तरह हमारे बड़े भाई के सामने पेपर खुल गया। बड़े भाई समझ गए। मैंने अपने बड़े भाई से कहा कि, 'देखा यह!' देखो यह रूप, यह सार देखो, यह स्त्री चरित्र देखो। यह जाति ऐसी नहीं है कि कूद पड़े। कोई फालतू नहीं है और अगर कूदने को तैयार हो जाए तो हमें कहना चाहिए कि 'चलो, मैं आपको धक्का मार दूंगा'। प्रश्नकर्ता : नहीं कूदेगी। पुरुषों पर दबाव डालती है। दादाश्री : बहुत पक्की।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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