SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 286
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [8.1] भाभी के साथ कर्मों का हिसाब 221 भाई क्या समझते थे कि, 'तू इस तरह से बोलता है इसलिए घर में ऐसा होता है। मुझे खुद को भी पता चलता था कि, 'अरे!' यह तो गधे का भी सिर दुःख जाए'। गधे का कभी भी सिर नहीं दुःखता लेकिन मेरी वाणी ऐसी निकलती थी कि उसका भी सिर दुःखने लगे तो सोचो वे कैसे शब्द निकलते होंगे? 'गिर जाऊँगी सुर-सागर में', त्रागा करके डराया भाई को प्रश्नकर्ता : आप दोनों के टकराव में बीच में भाई कुछ बोलते थे क्या? दादाश्री : भाई कुछ कहने जाते थे न, तो भाभी त्रागा करती थीं, कपट करती थीं। उन्हें जब काम करवाना होता था न, तो वे हमारे भाई को किस तरह दबाती थीं, वह जानते हो? हमारे बड़े भाई को डराने के लिए क्या कहा उन्होंने ? 'मुझे सुर-सागर में डूबना पड़ेगा, आपके भाई की वजह से। मैं तो चली सुर-सागर में डूबने।' 'मैं तो सुर-सागर में चली।' ऐसा कहती थीं उन्हें डराने के लिए। क्योंकि बुद्धि बहुत काम करती थी, ज़बरदस्त काम करती थी। और भाई राजा जैसे राजसी स्वभाव वाले थे, कोमल थे इसलिए इनके ज़रा से भी त्रागे से घबरा जाते थे बेचारे! तो मणि भाई घबरा गए। उन्हें अंदर बहुत घबराहट होती थी, पहली पत्नी मर चुकी थी न? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : तो उन पर आरोप लगा था कि 'इन्होंने मार दिया था'। प्रश्नकर्ता : अच्छा! दादाश्री : अतः उनके मन में ऐसा था कि अगर दूसरी बार भी ऐसा हो जाएगा तो मेरी क्या दशा होगी? अगर ऐसा कुछ हो गया तो मुझ पर आरोप लगेगा। यह मर जाएगी तो बहुत परेशानी होगी। यह सेकन्ड मैरिज थी इसलिए डर-डरकर चलते थे। यानी कि वे दब गए
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy