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________________ 194 ज्ञानी पुरुष (भाग-1) होगा, तो फिर वह बताने आया। उसने कहा, 'मेरा नाम मत लेना। मैं तो वहाँ पर नौकरी करता हूँ'। तो उनका कर्मचारी श्यामराव की बात बताने लगा। उस कर्मचारी ने मणि भाई को श्यामराव की लोगों को डराने की और हंटर मारने की बात बताई और कहा कि 'आपका भी नाम लेने की तैयारी कर रहा है वह'। जब ब्रदर को पता चला कि उस पटेल को हंटर से मारा तो उनका दिमाग़ फटने लगा कि क्या समझता है वह ? तेरे श्यामराव की ऐसी की तैसी'। कहना तेरे श्यामराव से। तब उनके जो कर्मचारी थे न, तो उन्होंने कहा, 'आप श्यामराव महाराज के लिए ऐसा कह रहे हैं, लेकिन महाराज को अगर यह पता चलेगा तो आपकी क्या दशा होगी?' तब उन्होंने कहा, 'अरे, तेरे श्यामराव की ऐसी की तैसी। जा, कह दे, ऐसे तो कितने ही देखे हैं मैंने। तेरे श्यामराव जैसों को तो मैंने लपेटकर रख दिया है, न जाने कहाँ उड़ा दिया है!' वह कर्मचारी तो घबरा ही गया। उसने जाकर श्यामराव से कहा, लेकिन श्यामराव से कुछ भी न हो सका। ये तो बहुत तेज़ इंसान थे! ये तो किसी से भी झगड़ा मोल ले लें, ऐसे इंसान ! खुले आम झगड़ा करें, ऐसे! किसी को कुछ मानते ही नहीं थे। मेरे बड़े भाई तो इतने खट्टे स्वभाव वाले थे कि उन्हें परवशता तो बिल्कुल भी नहीं चलती थी। वे श्यामराव से भी ऐसा कह देते थे! लेकिन वे पुण्यशाली इंसान थे इसलिए कुछ नहीं हुआ। किसी की भी गुलामी पसंद नहीं थी बड़े भाई को आप पुरानी बातें नहीं जानते हो। ये सारी पुरानी बातें हमारे दिमाग़ में भरी हुई हैं। ये राजा तो बहुत विषम होते थे, उनके चचेरे भाई भी बहुत विषम होते थे। प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : मामा साहब, फूफा साहब और चाचा साहब। ऐसा तो कहीं होता होगा? इंसान पर ऐसा अत्याचार करना अच्छा नहीं है ! उसके बजाय तो यह डेमक्रैटिक (जनतंत्र) बहुत अच्छा है। इसमें वैसा तो नहीं
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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