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________________ [7] बड़े भाई 185 गुस्से में फेंक दिए स्टोव और कप-प्लेट प्रश्नकर्ता : बड़े भाई का यदि इतना ताप व प्रभाव था तो भाभी के साथ उनका व्यवहार कैसा था ? दादाश्री : हमारे बड़े भाई बहुत गुस्सैल थे। एक बार मेहमान आए थे और मेहमानों को ज़रा जल्दी होगी, तो इसलिए उन्होंने कहा, ‘जल्दी चाय रख दो’। मुझसे पूछा कि 'तू कहकर आ गया चाय बनाने के लिए ?' मैंने कहा, 'हाँ, कह दिया' । तो भाभी को जल्दी से चाय बनाने के लिए कहा। हमारी भाभी स्टोव जलाने गईं लेकिन स्टोव ठीक से नहीं जल रहा था। तो स्टोव में पिन नहीं लग रही होगी, ऐसा कुछ हो गया होगा, पहले तो ऐसा ही था न सब ? यह तो साठ साल पहले की बात कर रहा हूँ। स्टोव में पिन डाली लेकिन अंदर भरा हुआ कचरा नहीं निकला। अंदर फूँक मार रहे थे। स्टोव को पटक रहे थे। एक कंकरी भर गई होगी, तो उस दिन स्टोव ठीक से नहीं चला तो हमारी भाभी को चाय बनाने में ज़रा देर लगी । बड़े भाई को जल्दी थी और यह सब झंझट हुई, इससे हमारे बड़े भाई का मिज़ाज ज़रा बिगड़ गया । फिर वे हमारी बा के सामने चिल्लाने लगे कि 'पंद्रह मिनट हो गए इतनी देर में तो पूरा खाना बन जाए लेकिन चाय का भी ठिकाना नहीं है'। अब चिढ़ा हुआ इंसान क्या नहीं कर सकता ? इसलिए वे चिढ़कर अंदर (रसोईघर में) आए और चिढ़ ही चिढ़ में कहा, 'तुझसे कुछ भी नहीं हो सकता'। तब वे जल्दी करने गई, जल्दी में पिन मारने गईं तो पिन अंदर टूट गई तब भाई और ज़्यादा चिढ़ गए। फिर भाई ने क्या किया? उन्होंने तो गुस्सा होकर स्टोव को उठाकर बाहर फेंक दिया एकदम से । जलते हुए स्टोव को फेंक दिया, और जो कप-प्लेट थे न, उन्हें भी लात मारकर फेंक दिया। तपस्वी तो बहुत क्रोधी होते हैं । न जाने क्या कर दें ! गुस्सा आ जाए तो क्या कुछ नहीं करेंगे ?
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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