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________________ [7] बड़े भाई राजवंशी पुरुष जैसे लगते थे बड़े भाई प्रश्नकर्ता : दादा, आपके भाई कैसे थे? दादाश्री : हमारे बड़े भाई को यदि देखा होता न, तो वे राजपुरुष लगते थे! ऐसे लोग मैंने नहीं देखे, गायकवाड़ सरकार (राजा) जैसे दिखाई देते थे। यों बहुत ही दर्शनीय व्यक्ति थे। देखकर लगता था कि राजवंशी पुरुष हैं। प्रश्नकर्ता : ब्रदर आपसे कितने बड़े थे, दादा? दादाश्री : बीस साल बड़े थे, फादर जैसे। चेहरे पर पर्सनालिटी और यों दर्शनीय पाटीदार थे! रंग तो मेरे जैसा ही था। गेहँआ रंग था लेकिन थे दर्शनीय थे। आँखें-वाँखें ऐसी. कपाल बड़ा था। ___ तो मैंने एक दिन बा से कहा कि 'मणि भाई का कपाल कितना अच्छा है और मेरा कपाल ऐसा क्यों है? इन मणि भाई का कपाल तो बहुत अच्छा है और मेरे कपाल में यहाँ पर बाल उगते रहते हैं, इसलिए मेरा कपाल बड़ा नहीं हो पाता'। तब बा ने कहा, 'उनका कपाल फकीर के तकिये जैसा (बड़ा कपाल-कपाल में बाल कम हों ऐसा) है, जबकि तेरा कपाल सब से अच्छा है'। कौन सा कपाल अच्छा है, उसका कारण मुझे समझ में नहीं आता था। इसलिए लोग जब बड़ा कपाल, बड़ा कपाल कहते थे तो पहले ऐसी कोई कहावत थी कि घोड़े के कद जितना कपाल... इसलिए बचपन में दवाइयाँ भी लगाई थीं लेकिन कुछ हुआ नहीं।
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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