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________________ [4] नासमझी में गलतियाँ 115 प्रश्नकर्ता : सही बात है। इसमें, संस्कारों का और यह जो अंगूठी ली, उसका क्या लेना-देना? दादाश्री : उसे तो खराब संस्कार कहा जाएगा। प्रश्नकर्ता : दादाजी! इस उदयकर्म की बात में फिर संस्कार कहाँ आते हैं? उदयकर्म में संस्कार क्या कर सकते हैं? दादाश्री : लेकिन संस्कार के आधार पर ही उदयकर्म हैं न! वही संस्कार हैं न! संस्कार प्रकट होते हैं। उदयकर्म अर्थात् जो संस्कार थे वे प्रकट हुए। प्रश्नकर्ता : लेकिन वे संस्कार भी कौन से? दादाश्री : पिछले जन्म के। प्रश्नकर्ता : हाँ, ऐसा। तो फिर वह पिछले जन्म के हैं न? दादाश्री : तो यह सारा माल मेरा ही होगा न कि मुझे मान मिलता है सब जगह। वह पिछले जन्म का प्रोजेक्शन है। प्रश्नकर्ता : यह क्षेत्र मिला, वह भी इन संस्कारों की वजह से ही न? ठीक है न? दादाश्री : हाँ, माँ-बाप मिले, वह भी। प्रश्नकर्ता : हाँ, वह सब तो उसी की वजह से है। उसे भोगने के लिए ही मिला यह सब, तो क्या आप ऐसा कहना चाहते हैं कि इसका संबंध संस्कारों से हैं? दादाश्री : हाँ। प्रश्नकर्ता : हाँ, यह ठीक है। दादाश्री : लेकिन ऐसे संस्कार थे अंदर! अंदर खटकता रहता था कि क्या ऐसा भी? अँगूठी को भी दबा दिया था। देखो तो सही! एक अंगूठी के लिए! ऐसा तो कोई इंसान नहीं करेगा। ऐसी है यह दुनिया! क्या-क्या गलतियाँ नहीं हुई होंगी?
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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