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________________ ज्ञानी पुरुष (भाग-1) गांधी जी तो बहुत तेज़ थे, लपेट वाले इंसान! विठ्ठल भाई ने लपेट नहीं देखी थी। उनका तो सीधा बेरिस्टरपना। विठ्ठल भाई और वल्लभ भाई, दो सिंह थे, वे दोनों भाई तो चरोतर के! फिर लोगों में जागृति आई। गांधी जी ने नमक के लिए सत्याग्रह किया, नमक में से भी खून दिखाया, निकाल-निकालकर और लोगों ने खून देखा तो शूरवीर बन गए। जब तक खून नहीं देखते, तब तक शूरवीर कैसे बनते? खून देखा न, इसलिए प्रजा सरकार के विरुद्ध हो गई कि 'सरकार बहुत गलत है। देखो न, मार दिया लोगों को'। मूल कारण कोई नहीं देखता, न्याय नहीं देखता। लोग तो यही देखते हैं कि क्या हुआ। क्या देखते हैं ? यानी गांधी जी को जो दिखाना था, वह दिखा दिया सभी को। इस तरह प्रजा को बदला। मूलतः गांधी जी निर्ममत्वी थे न ! कुछ लोग तो गांधी जी को कुछ भी गालियाँ बकते थे। आज अगर आप वे सुनो तो आपको आश्चर्य होगा! 'बेटों के नाम दो तो मिलें कर दी हैं,' ऐसा लोग कहते थे। अब पच्चीस प्रतिशत पब्लिक सही समझती थी कि 'गांधी जी अच्छे हैं'। तो पचहत्तर प्रतिशत कहते थे कि 'बहुत खराब हैं। उन्होंने बच्चों के लिए मिलें बनवा दीं। इस बात पर झगड़े होते थे, अंदर ही अंदर, वाद-विवाद। अपने मुहल्ले में बैठे-बैठे भी लड़ पड़ते थे लोग। गांधी जी तो न जाने कहाँ चले गए और झगड़ा रह गया ! वल्लभ भाई ने सर्व प्रकार की ममता छोड़ी प्रश्नकर्ता : वल्लभ भाई के बारे में तो हमने सुना है कि सिंह थे। दादाश्री : वे अकेले ही नहीं, सरदार और विठ्ठल भाई दोनों ही भाई वैसे थे। बाकी दो भाई और भी थे लेकिन ये दो भाई उसी तरह के थे। क्योंकि दोनों भाईयों ने सिर मुंडवाया हुआ था। प्रश्नकर्ता : सिर मुंडवाया हुआ था? दादाश्री : बाल रखे थे और सिर मुंडा हुआ था। सिर पर बाल थे इतने-इतने बड़े लेकिन सिर मुंडवा दिया था। इससे लोग चौंक गए
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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