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________________ [3] उस ज़माने में किए मौज-मज़े ____97 पगड़ी की एक लपेट खोली तो सरकार काँप गई 'यह एक लपेट खोली है' ऐसा 1921 में गांधी जी ने कहा था। उन्होंने पगडी की एक लपेट खोली तब गवर्नमेन्ट हिल गई थी, दूसरी लपेट खोलेंगे तब क्या होगा? वह तो मैंने ढूँढ निकाला कि यह लपेट वाले इंसान हैं। काठियावाड़ी के लपेट का मतलब क्या है, गवर्नमेन्ट समझ नहीं सकती लेकिन मैं तो ठहरा गुजराती, इसलिए समझ गया। अलग तरह की खोज हमारी 1922 में जो जन्मे वे पजामे वाले और 1921 तक जो जन्मे वे धोती वाले, इस तरह दो भाग हो गए थे उन दिनों। यह मेरी अलग तरह की खोजबीन थी। प्रश्नकर्ता : ठीक है। दादाश्री : गांधी जी ने होली जलाई थी वहाँ पर, मैनचेस्टर के माल की, परदेशी माल की। हम सभी ने होली जलाई थी। प्रश्नकर्ता : तब विठ्ठल भाई ने मना किया था। नया मत खरीदना लेकिन होली मत जलाओ। दादाश्री : ऐसा है न, उसमें सभी लोग ऐसे नहीं थे जो जला दें। यह तो अमीरों ने थोड़ी-बहुत टोपियाँ वगैरह सब डाला था उसमें। लोग भी क्या कोई कच्ची माया हैं? लेकिन दूसरा क्या हुआ कि यह जो जला न, उससे लोगों पर असर हो गया कि यह माल संभालकर रखने जैसा नहीं है। इतना तो समझ में आ गया। प्रश्नकर्ता : हाँ, उसका असर हो गया। गांधी जी ने दिखाया और बदला प्रजा को दादाश्री : अतः उन्होंने जो जलवाया वह अच्छा किया। विठ्ठल भाई ने मना किया लेकिन अंत में जलाया न, वह अच्छा काम किया। विठ्ठल भाई हिसाब लगा रहे थे कि इससे क्या लाभ होना है? और ये
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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