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________________ [2.2] मैट्रिक फेल नहीं देंगे, कुछ नहीं देंगे, जायदाद नहीं देंगे तो मैं अपनी तरह से पानबीड़ी की दुकान लगा दूंगा'। लेकिन ऐसा कुछ नहीं करना पड़ा मुझे। क्या भाई ऐसा करने देते? उनकी इज़्ज़त चली जाती न! बड़े लोग! छोटा काम करने देते क्या? तब फिर बड़े भाई ने कहा, 'नहीं! ऐसा छोटा काम हमें नहीं करना है। क्या कह रहा है तू?' मैंने कहा, 'मैं तो कुछ भी कर लूँगा। तो उन्होंने कहा, 'हम लोगों को ऐसा काम नहीं करना है। हम लोग ऐसा काम नहीं कर सकते, हम तो खानदानी इंसान हैं। हमें ऐसा करना चाहिए क्या?' तब मैंने कहा, 'जो ठीक लगे वह कीजिए'। भाई के सामने भी नहीं हुए लाचार तो बड़े भाई ने कहा, 'अब क्या करेगा?' मैंने कहा, 'अब क्या करूँ? होगा। हिसाब में जो कुछ भी होगा, वह होगा। आपका बिज़नेस है, आप कहो तो मैं आपके बिज़नेस में जॉइन हो जाऊँ, वर्ना अगर आप मना करते हैं तो मैं बाहर कोई दूसरा काम कर लूँगा। नौकरी तो मैं करूँगा नहीं'। मुझे मेरे बड़े भाई शुरू से ही कहते थे कि 'तू अगर नौकरी करने जाएगा तो कोई रखेगा नहीं'। तब मैंने कहा था कि 'मैं नौकरी करने नहीं आया हूँ, सेठ बनने आया हूँ। तब फिर भाई ने कहा, 'बिज़नेस में आना है? लेकिन फिर काम में लगे रहना पड़ेगा'। मैंने कहा, 'बिज़नेस में आप जितना कहोगे उतना करूँगा। आप कहोगे तो मुझे हर्ज नहीं है। आप जो कहेंगे वह करूँगा'। फिर भाई ने कहा, 'हाँ, बहुत अच्छा। तो ऐसा कर न, अपने बिज़नेस में आना हो तो आ जा। और कहीं पर मत जाना। उसके बजाय अपने घर पर ही रह और यहाँ काम करने आ जा। यह कॉन्ट्रैक्ट का काम कर, चल'। परेशान होकर बड़े भाई ने लगाया बिज़नेस में तब मैंने कहा, 'बहुत अच्छा। चलो, सूबेदार बनना तो रुक गया अपना'। स्वतंत्र बिज़नेस और घर का बिज़नेस तो फिर कोई हर्ज नहीं
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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