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________________ [2.2] मैट्रिक फेल भाई समझते थे कि, 'हमारा भाई परीक्षा देने गया है, पढ़ रहा है वहाँ पर'। लेकिन मैंने तय किया कि 'हमें मैट्रिक में पास ही नहीं होना है। यदि पास होंगे तभी ये सूबेदार बनाएँगे न?' तो रोज़ स्टेशन पर आइस्क्रीम खाते थे। मैं तो परीक्षा के दिन भी बाहर घूमकर, आराम से आइस्क्रीम-वाइस्क्रीम खाकर और परीक्षा देता था। अपने जैसे ही मिल जाएँ, तो गायकों के साथ में चली गाड़ी ___शाम को आइस्क्रीम-वाइस्क्रीम खाकर और दो-तीन लड़के मिलकर गीत गाते थे। परीक्षा देने आए थे लेकिन फिर मुझे सभी मेरे जैसे मिल ही जाते थे न! एक-दो गीत गाने वाले लोग आते थे फिर, मिल ही जाते हैं न सब। अपने जैसे मिल जाते हैं, ढूँढने नहीं जाना पड़ता था। जंबुसर का एक गाने वाला लड़का मिल गया था। वहाँ पर वह मित्र गाने गा रहा था। वह भजन गा रहा था तो गाड़ी चली अपनी, तो उसके साथ बैठ जाते थे आराम से। तो एक-दो गायक मिल गए थे, वे गीत गवाते थे और फिर तो सभी गाने लगे लेकिन मुझे तो गाना नहीं आता था। हमारा गला शुरू से ही पहाड़ी, हमारी संगीत से नहीं बनती थी, इसलिए बस, हम तो सुनते थे। राम तेरी माया, गाना वगैरह कुछ भी नहीं आता था। जैसा चाहिए था उसी योजनानुसार हुए मैट्रिक में फेल प्रश्नकर्ता : तो फिर परीक्षा में बैठे थे? पेपर दिए थे? दादाश्री : पेपर-वेपर सब दिया था, जैसा आया वैसा लिखा। प्रश्नकर्ता : फिर मैट्रिक में आप फेल हो गए न, दादा? दादाश्री : फेल? अच्छी तरह से फेल हुआ। प्रश्नकर्ता : योजनानुसार? दादाश्री : योजनानुसार फेल हुआ था, मैट्रिक में फेल हुआ, उसका क्या कारण है? क्या मुफ्त में फेल हो सकते हैं?
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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