SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 128
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [2.2] मैट्रिक फेल देगा'। तो देखो न, बेचारे उसी व्यक्ति ने जिसे मैंने यह कहा था उसी ने मुझे डर के मारे फॉर्म दे दिया। प्रश्नकर्ता : फिर परीक्षा देने के लिए बड़ौदा गए थे न? दादाश्री : हाँ, बड़ौदा, अपने कॉलेज में । यहाँ पर फॉर्म दिया था न, इसलिए वहाँ पर गए थे कॉलेज में, वहाँ अपनी युनिवर्सिटी में। उसे क्या कहते हैं? प्रश्नकर्ता : एस.एस.सी. बॉर्ड। दादाश्री : तब उन दिनों एस.एस.सी. बॉर्ड नहीं था। प्रश्नकर्ता : मैट्रिक्युलेशन। पढ़ाई का बहाना करके रहे हॉस्टल में और की मौज-मस्ती दादाश्री : यहाँ बड़ौदा में मैट्रिक की परीक्षा देने आया था, युनिवर्सिटी में। ब्रदर कॉन्ट्रैक्टर थे, वे यहाँ पर जोगीदास विठ्ठल की पोल (मुहल्ला) में रहते थे। मुझे भी वहाँ पर रहना था लेकिन मैंने सोचा, 'घर पर रहूँगा तो हमें इनके दवाब में रहना पड़ेगा न! इनके कंट्रोल में रहना पड़ेगा न! तो यह नहीं पुसाएगा'। यदि घर पर रहते तो हम घूमने नहीं जा सकते थे, आनंद नहीं कर सकते थे, मौज-मस्ती नहीं हो सकती थी इसलिए ब्रदर से मैंने कहा, 'मुझसे यहाँ घर पर रहकर पढ़ाई नहीं हो पाएगी। मैं तो वहाँ हॉस्टल में रहूँगा। हॉस्टल में मुझसे पढ़ाई हो सकेगी। यहाँ पर पढ़ाई का टाइम बेकार चला जाता है इसलिए मैं तो परीक्षा के दिनों में वहाँ हॉस्टल में ही रहूँगा'। भाई ने कहा, 'हाँ, वहाँ पर रहना। भले उसके लिए पैसे खर्च हों। तुझे यहाँ घर पर ठीक न लगे तो हॉस्टल में रहना लेकिन खूब पढ़ना'। मैंने कहा, 'यह बात तो मुझे बहुत अच्छी लगी'। घर पर नहीं रहना पड़ा न! तब वहाँ हॉस्टल में रहा था और फिर यहाँ हॉस्टल में आकर क्या किया? आराम से फर्स्ट क्लास पूड़ियाँ-वूड़ियाँ, आइस्क्रीम-वाइस्क्रीम
SR No.034316
Book TitleGnani Purush Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy