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________________ (१.१) विभाव की वैज्ञानिक समझ अपनी बिलीफ ही बिगडी है। अगर सिर्फ बिलीफ राइट हो जाए तो सब राइट हो जाएगा, बाकी कुछ भी नहीं है। रोंग बिलीफ बैठी है, हमें ऐसा अनुभव तो होता है न कि ऐसे दुःख क्यों मिल रहे हैं? यदि उस रोंग बिलीफ को निकाल दें तो फिर राइट बिलीफ है ही। अन्य कुछ बिगड़ा ही नहीं है। 'आत्मा' वैसे का वैसा ही है और वही भगवान महावीर हैं और वही तीर्थंकर हैं, जो कहो वह, वही है। बिलीफ में बदलाव होता है, बाकी द्रव्य यानी वस्तु में बदलाव नहीं होता। कोई ब्राह्मण हो, उसे अदंर बिलीफ बैठ जाए कि माँस खाने में हर्ज नहीं है तो उसका ब्राह्मणपन चला नहीं गया है लेकिन उसकी सिर्फ बिलीफ बदल गई है। यदि ज्ञान बदल गया होता न, तो वापस ठिकाने पर नहीं आता। बिलीफ बदली है इसलिए फिर से मूल स्थान प्राप्त कर लेता है, वर्ना मूल स्थान प्राप्त नहीं कर पाता। ऐसा है न, मूलतः असल आत्मा को कुछ भी नहीं हुआ है। यह तो लोगों ने अज्ञान का प्रदान किया, इसलिए सभी संस्कार खड़े हो गए हैं। जन्म लेते ही लोग 'उसे' 'चंद, चंदू' कहते हैं। अब उस बच्चे को तो पता ही नहीं कि ये क्या कर रहे हैं? लेकिन लोग उसे संस्कार देते रहते हैं। फिर 'वह' मान बैठता है कि 'मैं चंदू हूँ'। बाद में जब बड़ा होता है तब कहता है 'ये मेरे मामा हैं और ये मेरे चाचा हैं'। इस प्रकार से यह सारा अज्ञान प्रदान किया जाता है। उससे भ्रांति खड़ी हो जाती है। इसमें होता क्या है कि आत्मा की एक शक्ति आवृत हो जाती है, दर्शन नाम की शक्ति आवृत हो जाती है। उस दर्शन नाम की शक्ति के आवृत होने से यह सब हो गया है। वह दर्शन जब फिर से ठीक हो जाएगा, सम्यक् हो जाएगा, तब वापस 'खुद' अपने 'मूल स्वरूप' में बैठ जाएगा। यह दर्शन मिथ्या हो गया है और इसीलिए वह ऐसा मान बैठा है कि भौतिक में ही सुख है। अगर दर्शन ठीक हो जाएगा तो यह भौतिक सुख की मान्यता भी खत्म हो जाएगी। बाकी कुछ बहुत ज्यादा बिगड़ा ही नहीं है। दृष्टि ही बिगड़ी है। उस दृष्टि को हम बदल देते हैं।
SR No.034306
Book TitleAptavani 14 Part 1 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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