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________________ रोंग बिलीफ - आत्मा की उपस्थिति से ही होती है। राइट बिलीफ - आत्मा की उपस्थिति से ही होती है। परमात्मा पद - आत्मा की उपस्थिति से ही मिलता है। (८) क्रोध-मान से 'मैं', माया-लोभ से 'मेरा' जड़ + चेतन - विशेष भाव। विशेष भाव में क्या हुआ? १) 'मैं कुछ हूँ।' २) 'मैं कर रहा हूँ' और यह सब 'मैं जानता हूँ'! इससे बन गया समस्त संसार... 'मैं' का मूल है अज्ञानता। __'मैं' अर्थात् अहम् फिर आगे जाकर अहंकार बनता है। ये सब जो हैं, वे व्यतिरेक गुण हैं। व्यतिरेक गुणों से क्रोध-मान-माया-लोभ उत्पन्न हो गए। क्रोध और मान से 'मैं' बना और लोभ और माया (कपट) से 'मेरा' बना। चारों में से दो से 'मैं' और दो से 'मेरा' बना। ___जब यह देह छूटती है तब इस जन्म का अहंकार खत्म होता है और दूसरी तरफ अगले जन्म का तैयार होता है। नया अहंकार कॉज़ेज़ के रूप में उत्पन्न हुआ, वह अहंकार अगले जन्म में जाता है। बीज में से वृक्ष और वृक्ष में से बीज... यों तो ऐसा नहीं कह सकते कि अहंकार की बिगिनिंग है। शुरू से सबकुछ है ही। यह तो साधारण समझाने के लिए कह रहे हैं कि कॉज़ेज़ में 'उसने', 'मैं हूँ और मेरा है', ऐसा किया, जिससे इफेक्ट शुरू हो गया। और दूसरा तत्त्व मिलने से 'उसे' 'मैं और मेरे' की विभ्रमता हो गई और उसमें से शुरू हो गए क्रोध-मान-माया-लोभ। 31
SR No.034306
Book TitleAptavani 14 Part 1 Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Aradhana Trust
Publication Year
Total Pages352
LanguageHindi
ClassificationBook_Other
File Size2 MB
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